पूछिये, झारखण्ड के CM रघुवर दास से, उड़ता हाथी का क्या समाचार हैं?
बात उन दिनों की है, जब राज्य में मोमेंटम झारखण्ड की चर्चा चारों ओर थी। झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास और उनके कनफूंकवों को लगता था कि बस मोमेंटम झारखण्ड संपन्न हुआ कि उधर हाथी उड़ा, लेकिन भला हाथी भी कहीं उड़ता है, हाथी तो भारी भरकम जीव है, जो ठीक से दौड़ भी नहीं सकता, वो उड़ेगा क्या? इसी को लेकर कभी पत्रकारों ने प्रेस कांफ्रेस के दौरान सीएम रघुवर दास से पूछ दिया कि आपके दिमाग में ये उड़ता हाथी का कन्सेप्ट कैसे आया? जब सीएम रघुवर दास ने इस प्रश्न का जो उत्तर दिया, वह और बावेला मचा दिया। संवाददाताओं ने कल्पना भी नहीं की थी कि एक सीएम का उत्तर ऐसा भी हो सकता है?
इसी बीच मैंने मोमेंटम झारखण्ड को लेकर दो कविता बनाई, पहली कविता थी –
न हाथी उड़ा है, न हाथी उड़ेगा
जहां झारखण्ड है, वहीं पर रहेगा
कटी जंगलों को है, फिर से लगाना
सूखी झरनों को है, फिर से जगाना
जमीं की जो इज्जत, दिल से करेगा
वहीं झारखण्डी, असल में बनेगा
निवेशक को जिसने, बुलाया यहां पर
उसे कह सुनाओ, नगाड़े बजाकर
न सत्ता का डर तुम, हमें अब दिखाओ
सोए सिंहों को, न तुम अब जगाओ
तुम्हारे खेल अब, खत्म हो चुके हैं
गांव और टोले, सभी जग गये हैं
जल्दी वह समय, अब आने ही वाला
सुन ले, तू सुन ले, ओ गर्वोक्तिवाला
न धरने देंगे, नापाक पांव उसके
जो दिखाये तुमने, हमें झूठे सपने
बेड़ा गर्क किया हैं, तुमने हमारा
तुम्हारा बेड़ा गर्क, अब हम करेंगे
तुम्हारे सपनों की, लाल हाथी
उसे धूल-धूसरित अब हम करेंगे
हम मिलकर ये सपने, सब सच करेंगे
और ठीक इसके बाद दूसरी कविता लिखी, जो मोमेंटम झारखण्ड के इर्द-गिर्द घूम रही थी…
ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट की, चर्चा है चहुंओर।
नेता – अधिकारी बने, देखो माखनचोर।।
विज्ञापन से सब नपे, नपे चैनल अखबार।
गिफ्ट-रुपये से नपे, नपे संपादक-पत्रकार।।
सागर पवित्र स्नान को, जब मन करे ललचाय।
पूंजीपति-राजनीतिबाज को, चले सब माथ नवाय।।
कनफूंकवों की चल बनी, ईमानदार बौराए।
रघुवर के अरे राज में, अर्जुन तीर चलाए।।
सीएस के आगे डायरेक्टर, पीआरडी शीश नवाए।
जैसे-जैसे वे कहे, वैसे ही वह करते जाये।।
किसी की भी ना सुने, सिर्फ सुने वह कान लगाये।
सीएस की ही चाकरी, दिन-रात करत बिताये।।
सीएस की ही ब्रांडिंग, हो रही अखबार में आज।
पीछे हो गये सीएम, अब सीएस करती राज।।
कल तक पीएम को भूलो, अब पीएम को करो याद।
आनन-फानन में मोदी, अब पोस्टर दिखलाय।।
पूरे विश्व में हाथी, केवल झारखण्ड में भाई।
पूंछ उठाकर- सूड़ हिलाकर, दीखे गगन-उड़ाई।।
हा-हा करती जनता बोले, ये क्या चक्कर भाई।
क्या हाथी उड़ी है अब तक, जो सरकार दिखाई।।
क्या हुआ झारखण्ड को, जनता करे सवाल।
रघुवर जी मेरी सुनो, सुनो तुम कान लगाये।।
हमें नहीं दिलचस्पी, इस समिट में यार।
जो वादे तुम हमें किये, पूरी करो ध्यान लगाये।।
इन कविताओं के लिखने के पहले मैंने सर्वप्रथम एक आर्टिकल लिखी थी, जो एक प्रकार से राज्य सरकार को आगाह करने के लिए मैंने लिखा था, जिस आलेख में स्पष्ट लिखा था कि ये हाथी कभी नहीं उड़ेगा, चाहे धौनी जितना भी उड़ाने का प्रचार क्यों न कर लें… धौनी चाहे जिस भी मिट्टी के बने हो, पर हमारा हिन्दुस्तान और हिन्दुस्तान की महक के रुप में जाना जानेवाला झारखण्ड अंधविश्वास को बढ़ावा देना नहीं जानता और न ही ऐसे सपने देखता है, जो सपने कभी पूरे ही न हो… झारखण्ड बढ़ेगा, अवश्य बढ़ेगा पर पंखोंवाला हाथी से नहीं, बल्कि झारखण्ड के करोड़ों मेहनतकश-मजदूरों और उनके मजबूत इरादों और बुलंद हौसलों से… न कि परछाइयों के शहरों में रहनेवालों से… धौनी कल क्रिकेट खेलते थे, बाद में विज्ञापनों से खेलने लगे, एक मोटरसाइकिल का प्रचार करते थे, कहते थे मैं तो दूध पीता हूं, ये तो कुछ भी नहीं पीता, फिर भी दौड़ता रहता है… बाद में हमारे धौनी दारु का भी प्रचार करने लगे, उस दारु का, जिसका प्रचार आज तक क्रिकेट के भगवान माने जानेवाले भारत रत्न सचिन तेंदुलकर ने नहीं किया…
ऐसे धौनी को राज्य सरकार ने मोमेंटम झारखण्ड का ब्रांड एंबेसडर बनाया है, इसका फायदा राज्य सरकार को कितना मिलेगा, ये तो वक्त बतायेगा, पर राज्य को नुकसान होना तय है… हम तो एक ही बात जानते है, कि गांधी ने ग्राम स्वराज्य की परिकल्पना की थी… बार-बार गांधी की बात करनेवाली सरकार, उनके 150 वीं जयंती पर स्वच्छता अभियान की बात करनेवाली सरकार, उनके मूल वक्तव्य ग्राम स्वराज्य से भटक रही है और जिन विदेशियों को गांधी ने देश से बाहर किया, उन विदेशियों को पुनः भारत में लाने का हर प्रकार का नौटंकी कर रही है… जिसमें केन्द्र से लेकर राज्य सरकार भी शामिल है… संघ जिसकी राजनीतिक इकाई भाजपा है, वह भी इस हथकंडे से तौबा करती है, और ग्राम स्वराज्य-स्वदेशी की परिकल्पना को साकार करने की बात करती है, पर इन सबसे दूर, राज्य और केन्द्र सरकार ने पूंजी निवेश के नये तरीके ईजाद कर स्थिति ऐसी कर दी है जैसे लगता है कि बिना पूंजी निवेश के राज्य व देश आगे बढ़ ही नहीं सकता…
क्या ऐसे हालात में आप धौनी के इस अपील को स्वीकार करेंगे कि – ” ये हाथी उड़ेगा, और झारखण्ड इंडिया का नंबर वन इंवेस्टमेंट डेस्टिनेशन बनेगा। अब सवाल ये है क्या आप हमारे साथ होंगे?” मैं तो भाई, साफ-साफ कह देता हूं कि धौनी के इस बयान के साथ मैं तो नहीं हूं, क्योंकि मैं अच्छी तरह जानता हूं कि हाथी उड़ता नहीं है… और अब काम की बात…
एक बार फिर मोमेंटम झारखण्ड की तरह झारखण्ड माइनिंग शो का कार्यक्रम राज्य सरकार ने किया है, जो पूरी तरह सुपर फ्लाप रहा। कल तक हाथी उड़ानेवाली सरकार और उनके कनफूंकवे उड़ता हाथी से दूरी बना रहे है, पर लोग पूछ रहे हैं कि क्या हुआ? उड़ता हाथी का… और इधर कुछ गाने भी तैयार हो रहे हैं, उड़ता हाथी और राज्य सरकार के बीच संबंध को लेकर, लीजिये आप भी मजा लीजिये और पूछ डालिये सरकार से कि…
हठी उड़ने पर क्या बोले वो सुन ही लिए..अभी
बोलेंगे हाथी उड़ रहा है ब्रह्माण्ड में ..अब
उसे लैंड कराने के लिए एक और समिट की जरुरत है..1000 करोड़ चाहिए।