ये पुरस्कार देनेवाले कौन सी कंपनी का चश्मा यूज करते हैं भाई, जो नरक बना देनेवालों को भी अवार्ड दे देते हैं
वाह रे, स्वच्छता के नाम पर पुरस्कार देनेवाला और वाह रे, बड़ी ही बेशर्मी से उसे प्राप्त कर लेनेवाला, तुम्हें शर्म नहीं आती, ऐसा करते, पूरी राजधानी को नरक बना डाला, हरमू नदी को नाला में परिवर्तित कर दिया, सच्चाई यह है कि जिस ओर से भी यह नदी गुजरती है, वहां कोई व्यक्ति एक सेंकेंड भी ठहर नहीं सकता, क्योंकि चारों और दुर्गंध फैला हुआ है, कचरों और मच्छड़ों से शहर पटा है, स्थिति ऐसी है कि रांची का पहाड़ी मंदिर कब बैठ जाये, कुछ कहा नहीं जा सकता और फिर भी आप लोग दांत निपोड़कर स्वच्छता का पुरस्कार भी प्राप्त कर लेते हो। हद हो गई यार।
जरा देखिये, जो लोग दांत निपोड़ कर इस फोटो में पुरस्कार लेने के लिए खड़े हैं या पुरस्कार प्राप्त कर रहे हैं, दरअसल ये आज स्वच्छता के क्षेत्र में झारखण्ड को मिले बेस्ट परफॉर्मिंग स्टेट श्रेणी में द्वितीय पुरस्कार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से ग्रहण कर रहे है। जिस पर राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने झारखंड की जनता को बधाई भी दे दी। उन्होंने ट्वीट भी कर दिया कि झारखण्ड की सवा तीन करोड़ जनता को बधाई। आपके प्रयासों से ही झारखण्ड ने स्वच्छता के क्षेत्र में नया कीर्तिमान रचा है।
अब ये धमाका करनेवाले क्या बता सकते है कि रांची में इनके द्वारा बनाये गये छोटे–छोटे शौचालय को ये खुद कितनी बार प्रयोग किये है, जो व्यक्ति खुद ही स्वच्छता के लिए बने इन ट्वायलेटों का प्रयोग न करता हो, वो भला क्या खाक झारखण्ड को स्वच्छ रखेगा। ये तो साफ लगता है कि यहां पुरस्कार के लिए खुला खेल फर्रुखाबादी चल रहा हैं, क्योंकि आजकल पुरस्कार भी तो ले–दे संस्कृति पर आधारित है, हमें तो लगता है कि जरुर नगर विकास विभाग पुरस्कार देनेवालों को अपने कुकृत्यों से रिझाया होगा और फिर दांत निपोड़कर बेस्ट परफार्मिंग स्टेट का दूसरा स्थान प्राप्त कर लिया होगा।
पूरा रांची जानता है कि नगर में साफ–सफाई की क्या स्थिति है? सीपी सिंह जो रांची विधानसभा से विधायक हैं, उनके ज्यादातर इलाकों के लोग दोयम दर्ज की जिंदगी गुजारते हैं, कुछ इलाके तो ऐसे ही कि आप उसकी तुलना मुंबई के धारावी से कर सकते हैं, सड़कों पर नालियां, गाय–भैसों के मल–मूत्र, टूटी–फूटी सड़कें, आप जिधर चाहेंगे, उधर मिल जायेंगे, और फिर भी ये शान से कहते है कि उनका रांची साफ है, मतलब ये लोग किस दुनिया में रहते हैं भाई, मजाक बनाकर रख दिया है इन सब ने।
झारखण्ड सिविल सोसाइटी के आर पी शाही तो इस नगर विकास विभाग और मंत्री सीपी सिंह के इन हरकतों पर तो साफ व्यंग्य करते हैं, वे कहते हैं कि…
मंत्री ने बोला स्वच्छ हो गया,
प्रशासक ने बोला स्वच्छ हो गया,
पोस्टर छपे कि स्वच्छ हो गया,
सबने बोल भी दिया कि स्वच्छ हो गया,
लेकिन सब तो कूड़े की ढेर पर ही खड़े होकर बोले।
ये कविता के रुप में आर पी शाही के बयान, रांची की स्वच्छता के दावों की परतों को परत–दर–परत खोल देते हैं, पर क्या मजाल कि यहां का नगर विकास विभाग देख रहा, भारतीय प्रशासनिक सेवा का अधिकारी इस सच्चाई को स्वीकार कर लें, इस आर्टिकल में दीख रहा एक भारतीय प्रशासनिक सेवा का अधिकारी की पत्नी का कमाल तो हाल ही में झारखण्ड के सभी नागरिकों ने देखा, जब इसकी पत्नी के ड्राइवर को यहां के ट्रैफिक डीएसपी ने चलान काटा तो इस भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी ने उक्त ट्रैफिक डीएसपी का तबादला ही करा दिया, अरे जहां इस सोच के अधिकारी और मंत्री हो, वहां सफाई का बंटाधार होना ही है।
और ये पुरस्कार क्या होता है? सभी जानते है कि कैसे लिया और दिया जाता है, ये तो ले–दे संस्कृति पर आधारित है, उन्हें पैसे चाहिए और आपको अवार्ड, लीजिये दोनो खुश और रही बात जनता की तो वो तो मच्छड़ों के आगोश में, दुर्गंधों की अगरबत्तियों और धूपों में, विभिन्न प्रकार के कुड़े–कचरों से पनपती बिमारियों के गोद में जीने को विवश है ही, आप मंत्री और आइएएस अधिकारियों को इससे क्या मतलब कि जनता के क्या हालात हैं, आप मस्ती कीजिये, आराम से झूठ बोलिये, राष्ट्रपति से अवार्ड लीजिये, पर आप ये सोचेंगे कि हम या आपकी जनता इस झूठ को स्वीकार कर लेगी, तो आप ये गलतफहमी मत पालियेगा, क्योंकि जनता तो सब देख रही हैं, वह निर्णय ले चुकी है, कि इस बार आपको जयश्रीराम कर देना है, मतलब समझ रहे हैं न।