अपनी बात

ये कौन लोग हैं, जो धर्म के नाम पर जेपी दास को उनके घर से निकलने नहीं देने का प्लान बनाकर 2013 से उनके घर के दरवाजे पर ही पंडाल बना देते हैं और प्रशासन इन बदमाशों के आगे बौना हो जाता है

जमशेदपुर में सरकार, विपक्ष और प्रशासन की नाक के नीचे खुलेआम कानून की धज्जियां उड़ाने के साथ साथ अमानवीय कृत्य किया जा रहा है और प्रशासन मौन है। हैरानी की बात है कि यह सब धर्म के नाम पर हो रहा है। धर्म में कहां लिखा है कि किसी के दरवाजे पर हर साल पूजा पंडाल इस कदर बिना जगह छोड़े बना दो कि उस घर के लोग दस दिनों तक कैद हो जाएं।

ईश्वर न करे, अगर कोई अनहोनी हो या तबियत ही खराब हो या किसी इमरजेंसी के तहत निकलना हो तो क्या नाली पर चलें लोग और जगह न होने से बैलेंस न हो तो चोटिल हों और कीचड़ से नहा लें। यह अन्याय जमशेदपुर के बाराद्वारी से सटे देवनगर में 2013 से हो रहा है और प्रशासन यहां की खोखली और घटिया राजनीति के आगे बौना साबित हो रहा है।

हर साल जेपी दास डीसी, एसपी, एसएसपी और एसडीओ कार्यालय के चक्कर काटते हैं। जिसके बाद थाना से लोग आते हैं। लेकिन पूजा कमेटी के लोग दुगुने उत्साह के साथ फिर दरवाजे पर बांस गाड़कर पंडाल बनाते है जबकि पास में मैदान है। मगर वहां पंडाल नहीं बनाते। दिलचस्प बाप यह है कि मैदान में गणेश पूजा का पंडाल बनता है। मगर दुर्गा पूजा का नहीं। जेपी दास सिर्फ इतना चाहते हैं कि उनके घर के सामने जगह छोड़कर पंडाल बने जो कानून सम्मत होने के साथ साथ फर्ज भी है। मगर शह ऐसी मिली है कि पूजा कमेटी को परवाह नहीं।

क्या हुआ इस साल?

इस साल भी जब जेपी दास ने प्रशासनिक कार्यालय के चक्कर काटने शुरु किए तो नतीजा वही ढाक के तीन पात निकला। तब वे मानवाधिकार कार्यकर्ता के साथ 20 सितंबर को बिष्टुपुर के माइकल जॉन ऑडिटोरियम पहुंचे। जहां डीजीपी के आदेश जन शिकायत समाधान कार्यक्रम का आयोजन हो रहा था। वहां भी जेपी दास ने शिकायत की और मानवाधिकार कार्यकर्ता जवाहरलाल शर्मा ने वहां मौजूद सिटी एसपी और अन्य पदाधिकारियों को खूब खरी खोटी सुनाई।

जिससे सिटी एसपी पहले काफी नाराज हुए और फिर कहा कि उनके पास मामला नहीं आया था। जिस पर जवाहरलाल शर्मा और भड़क गए, साथ ही बताया कि मामला 2013 से प्रशासन के संज्ञान में है। सिटी एसपी ने सुलझाने का आश्वासन दिया। कार्यक्रम के बाद एक दो बार और जेपी दास और जवाहरलाल शर्मा ने सिटी एसपी से मुलाकात की।

इस बीच वरिष्ठ पत्रकार अन्नी अमृता ने इस मामले को लेकर लगातार ट्वीट किए। अन्नी ने विद्रोही24 डॉट कॉम से बातचीत करते हुए कहा कि एक आम आदमी के हेलमेट न पहनने पर पुलिस उस पर ऐसे टूट पड़ती है मानो वह कोई अपराधी हो। मगर राजनीतिक संरक्षण प्राप्त एक पूजा कमेटी खुलेआम धर्म के नाम एक बुजुर्ग को परिवार समेत घर में कैद करती है। तब प्रशासन की हिम्मत जवाब दे जाती है। एक बुजुर्ग को परिवार समेत प्रताड़ित करना यह कब से धर्म हो गया। अन्नी ने बताया कि मामले को लेकर जेपी दास के खिलाफ दुष्प्रचार किया जाता है कि वह पूजा के विरोधी है जबकि यह सरासर गलत है। वह सिर्फ अपने दरवाजे से निकलने के लिए थोड़ी जगह चाहते हैं।