किसी ने भी “भारत बंद” नहीं बुलाया, पर केवल अफवाहों में हो गया “भारत बंद”
आज भारत बंद है। ये भारत बंद किसने बुलाया? किसी को पता ही नहीं। कमाल इस बात की है कि भारत सरकार और विभिन्न राज्यों की सरकारों ने इस बंद को लेकर ऐसा ऐहतियात बरता, कि पूछिये मत। राजस्थान में तो धारा 144 लगा दिया गया। झारखण्ड और बिहार के कुछ इलाकों में केवल सोशल साइट पर कुछ सिरफिरे लोगों द्वारा अफवाह उड़ा दिये जाने से कुछ इलाकों में असामाजिक तत्वों का समूह सड़कों पर उतर गया और टायर जलाकर आगजनी भी की, हालांकि कहीं से कोई टकराव की खबर नहीं है और न ही कहीं बंद का असर, फिर भी अनजाने भय से सड़कों पर निकले लोग भयभीत दीखे, जबकि सड़कों पर आम दिनों की तरह संशय की स्थिति दिखी और न चाहते हुए भी भारत बंद का आंशिक असर दीख ही गया।
आज के बंद ने स्पष्ट कर दिया कि भारत गलत लोगों के हाथों में हैं, अगर किसी ने भी झूठी अफवाह सोशल साइट पर फैला दी तो उसका प्रभाव पड़ना तय है, ये किसी भी प्रगतिशील देश के लिए खतरनाक है, और अगर इसका प्रभाव निरंतर पड़ता गया तो देश का रसातल में जाना तय हैं, इसलिए केन्द्र व राज्य सरकार को चाहिए कि जहां भी कोई असामाजिक तत्व दीखे या झूठी अफवाह फैलानेवाले लोग दीखे, उस पर तत्काल ऐसी कार्रवाई करें, जिससे ऐसे लोगों को सबक मिले।
अगर रांची की बात करें, तो यहां बंद का कोई असर ही नहीं हैं, सारे व्यापारिक प्रतिष्ठान खुले है, सड़कों पर गाड़ियां चल रही हैं, पर सभी अनजाने भय से भयभीत जरुर दीखे, सड़कों पर जो भी लोग निकले, वे वहीं लोग थे, जिनको निकलना बहुत ही जरुरी था, कुछ विद्यालय तो आज के भारत बंद को लेकर पूर्व से ही सूचना निकालकर स्कूल को बंद कर देने का ऐलान किया था।
आज के बंद को सफल बनाने में वे संस्थाएं और राजनीतिक दल की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही, जो आज के बंद के अफवाह पर लगातार प्रतिक्रिया दिये जा रहे थे, जिससे एक प्रकार के भय का माहौल बना। इन दलों ने बेमतल का आज के बंद को स्वयं में नाम दे दिया तथा आज के बंद को आरक्षण विरोधियों का बंद करार दे दिया, जबकि ऐसा कुछ था ही नहीं।
कुल मिलाकर देखा जाये तो पूरे देश में भारत बंद का कही कोई असर नहीं है, पर अनजाने भय से सभी भयभीत है, ये देश के लिए किसी भी हालत में ठीक नहीं है, केंद्र व राज्य सरकार को इस पर निर्णय लेना ही होगा, साथ ही यह जरुर पता भी लगाना चाहिए कि आखिर वे कौन लोग हैं? जिन्होंने ये झूठी अफवाहें फैलायी और वे कौन लोग है? जो इस झूठी अफवाहों को महत्व देकर बेकार की बातें कर, उसका विरोध भी करने लगे, जिसका प्रभाव यह पड़ा कि लोग आज का दिन डर-डर कर बिताने में गुजार दिये।