जिसने RSS, उसके स्वयंसेवकों तथा BJP को जमकर गरियाया, भाजपा ने उसे मांडर से टिकट थमाया
आज भारतीय जनता पार्टी ने उम्मीदवारों की तीसरी सूची जारी कर दी, इस सूची में उस व्यक्ति का नाम भी शामिल है, जिसने इसी वर्ष रांची के मोराबादी मैदान में एक जनसभा को संबोधित करते हुए आरएसएस एवं उसके स्वयंसेवकों तथा भाजपाइयों को जमकर गरियाया था, जिसने खुलकर कहा था कि भाजपा और आरएसएस के लोग आदिवासियों को सनातनी और हिन्दू कहना बंद करें, क्योंकि वह स्वयं को हिन्दू कहलाने को तैयार नहीं।
जिसने खुलकर कहा था कि आदिवासियों को हिन्दू कहनेवालों, वनवासी कहनेवालों, तुम्हारा संगठन कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, तुम्हारा जूबान खींच लिया जायेगा। जिसने सात मार्च 2019 को मोराबादी मैदान में एक जनसभा के माध्यम से राज्य की भाजपा शासित रघुवर सरकार को भी चुनौती दी थी, और कहा था कि बीजेपी की सरकार कह रही हैं, सरना और सनातन एक हैं, हिन्दू और आदिवासी धर्म एक हैं। जिसे वह मानने को कभी तैयार नहीं होगा।
जिसने कहा था कि बीजेपी और संघ के लोग आदिवासियों को हिन्दू कहना बंद करें, सरना और सनातन को एक कहना बंद करें, क्योंकि आदिवासी न हिन्दू था और न हिन्दू रहेगा, क्योंकि उसकी अपनी परम्परा और अपनी संस्कृति हैं। जिसने आरोप लगाया था कि संघ और भाजपा के लोग आदिवासियों को अपने हितों की रक्षा के लिए कभी मुसलमानों से, तो कभी इसाइयों से लड़वाते रहते हैं, जिसे वह बर्दाश्त नहीं करेगा।
अब सवाल उठता है कि जो व्यक्ति जमकर भाजपा को गरियाता रहा हैं, भाजपा की मातृ संगठन आरएसएस और उनके स्वयंसेवकों को गरियाया हैं, उनकी जुबान खींच लेने की बात तक कह दी, उस देव कुमार धान को मांडर से बीजेपी का टिकट भाजपा के लोगों ने ही कैसे थमवा दिया? क्या भाजपा और संघ के लोग देव कुमार धान से डर गये या संघ और भाजपा को लगता है कि उसके दिन अब लद गये, इसलिए ये लोग देव कुमार धान के आगे साष्टांग दंडवत् कर लिये।
राजनीतिक पंडितों की मानें तो उनका साफ कहना है कि न तो भाजपा अब पुरानी वाली रही और न ही अब पहलेवाले स्वयंसेवक हैं, जो अपने सम्मान तथा हिन्दूत्व की रक्षा के लिए आगे आये, अब ये दोनों सिर्फ लकीर के फकीर हो गये तथा वे अपने सम्मान को दांव पर लगाकर कुछ भी करने को तैयार हैं।
राजनीतिक पंडितों का तो यह भी कहना है कि जब शशिभूषण मेहता जैसे हत्या के आरोपी लोगों को संघ का स्वयंसेवक शरद पूर्णिमा उत्सव में आमंत्रित कर खुद को गौरवान्वित महसूस करता हैं, तो संघ के स्वयंसेवकों को जूबान खींच लेने की बात करनेवाले देव कुमार धान को अपने सिर पर बैठाकर उसे जीताने के लिए सब कुछ लूटाने का प्रयास अगर स्वयंसेवक या भाजपा के कार्यकर्ता कर रहे हैं तो इसमें गलत क्या हैं? ये नई भाजपा हैं और नया संघ हैं, इसलिए इसे भी खुश होकर अंगीकार करिये, नहीं तो चुपचाप देखते जाइये।