ये झाविमो से कौन किसको निकाल रहा हैं भाई? ये जनता को मूर्ख समझने की कोशिश कौन कर रहा?
किसने किसको निकाला जनता सब समझ रही है बाबूलाल जी, अगर समझ कर भी आप नहीं समझने की कोशिश कर रहे हैं, तो यह आपकी सबसे बड़ी राजनीतिक भूल है, और यह राजनीतिक भूल भविष्य में आपके लिए खतरे की घंटी होगी। ऐसे राजनीति में कोई वैरागी साधुओं की जमात तो आती नहीं, जो साधु आते भी हैं, उन मूर्ख-ढोंगियों साधुओं को जनता देख भी रही हैं, और झेल भी रही है।
पहले बंधु तिर्की और अब प्रदीप यादव को पार्टी से बाहर निकालने का खेल, झारखण्ड की जनता जान चुकी है। प्रदीप यादव पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए प्रदीप यादव को प्राथमिक सदस्यता से निष्कासन कुछ पच नहीं रहा, अच्छा रहता जब प्रदीप यादव पर यौन शोषण का आरोप लगा था, तब उन्हें पार्टी से हटा देते तो एक साख भी रहती, पर यौन शोषण के आरोप लगने के बावजूद मुस्तैदी से उनके लिए चुनाव प्रचार करना, उन्हें जीताने के लिए लोगों से अनुरोध करना और फिर चुनाव खत्म होते ही उन्हें पार्टी से निकालना, जनता सब समझ रही है। ऐसे भी झाविमो जो इस बार तीन सीटें जीती हैं, उन तीनों सीटों को जीतने में पार्टी का योगदान कम और व्यक्ति विशेष का योगदान ज्यादा है।
बंधु तिर्की, प्रदीप यादव और स्वयं आपके (बाबू लाल मरांडी) के जीतने का आधार सभी का अपना-अपना राजनीतिक कद है, न कि इसमें पार्टी की भूमिका, आप तीनों निर्दलीय भी लड़ते तो जीतते, क्योंकि जनता के बीच तीनों का राजनीतिक कद आप सब के खिलाफ लड़ रहे लोगों से ज्यादा बड़ा था, पर जनता को यह विश्वास नहीं था कि आप लोग इतना जल्द एक दूसरे से बिना किसी कारण के, स्वस्वार्थ के लिए पार्टी को दांव पर लगा देंगे, पर हो तो यही रहा है।
ऐसे भी भाजपा ने आपको बहुत कुछ दिया, राज्य का प्रथम मुख्यमंत्री बनने का खिताब तो भाजपा के सौजन्य से ही मिला, आपने शुरुआती क्षणों में अच्छे राजनीतिक व झारखण्ड हित में फैसले भी लिये, जिसका परिणाम है कि झारखण्ड में आज भी आप के राजनीतिक कद को कोई चुनौती नहीं दे सकता, पर याद रखिये जनता किसी की नहीं होती, जनता को विकल्प चाहिए, आपने धैर्य नहीं रखा और जल्दबाजी दिखा दी।
जिसका परिणाम हमें लगता है कि आपके हित में होगा, ऐसा संभव नहीं, क्योंकि वर्तमान में झारखण्ड जिस आर्थिक परिस्थितियों से जूझ रहा हैं, उसका देन और कोई नहीं भाजपा है, इस भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्य को इस प्रकार बर्बाद कर दिया कि जनता फिलहाल उन्हें माफ करने के मूड में नहीं, और शायद जो लोग उस पार्टी में जायेंगे, उसके खिलाफ भी जनता का अंसतोष भड़केगा, यह ध्रुव सत्य है।