अब यशवंत सिन्हा को कौन बताएं कि भीष्म के रहते द्रौपदी का चीरहरण हो चुका था
अपने देश के नेताओं को बतकुचन करने की बहुत बड़ी आदत है। मौका कोई भी हो, ये अपनी आदत से बाज नहीं आते। ये क्या बोल रहे हैं? कहां बोल रहे है? संदर्भ क्या है? इस पर ये ध्यान नहीं देते। जरा नया वाकया देखिये। इन दिनों अखबारों और चैनलों में भाजपा के यशवंत सिन्हा छाये हुए हैं। वे इन दिनों वित्त मंत्री अरुण जेटली और केन्द्र की सरकार पर खुब बरस रहे हैं। नये-नये संवादों से केन्द्र सरकार को घेरने में लगे हैं, हालांकि उनके इस कृत्य पर, उनके ही बेटे जयंत सिन्हा ने अंगुली उठा दी है। दूसरी ओर यशवंत सिन्हा के भारतीय अर्थव्यवस्था पर आये बयान पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी यह कहकर टिप्पणी कर दी कि कुछ लोगों को 80 वर्ष में भी बेरोजगारी की चिंता सता रही होती है।
इधर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा यह कहे जाने पर कि कुछ लोगो की आदत महाभारत के “शल्य” की तरह होती है, जो हमेशा निराशा में ही रहते हैं। यशवंत सिन्हा ने इसके जवाब में, खुद को महाभारत का “भीष्म पितामह” बता दिया, और लगे हाथों यह भी बता दिया कि वे किसी भी कीमत पर अर्थव्यवस्था का चीरहरण नहीं होने देंगे। अब यशवंत सिन्हा को कौन बताये कि जिस भीष्म पितामह और जिस चीरहरण की वे बात कर रहे हैं, अगर वे महाभारत पढ़ेंगे तो पायेंगे कि भीष्म पितामह के सामने ही द्रौपदी का चीरहरण हो गया था और भीष्म पितामह कुछ कर नहीं पाये थे। अरे उदाहरण देनेवाले नेताजी, आपलोग बहुत पढ़े लिखे हो, पता नहीं आईएएस की परीक्षा भी कैसे पास कर लेते हो, आपको बयान देने के समय ये भी नहीं पता चलता कि आप क्या बयान दे रहे हो?
अगर आपको नहीं पता तो कम से कम बी आर चोपड़ा की बनाई धारावाहिक महाभारत ही देख लो कि भीष्म पितामह, द्रौपदी के चीरहरण के समय सभाभवन में क्या कर रहे हैं? या उनकी मनःस्थिति क्या है? जो मन किया बक देते हो, हद हो गई, ये बयान आज के बच्चे पढ़ेंगे तो वे क्या समझेंगे, जरा यशवंत सिन्हा ही बता दें।
ऐसे यशवंत सिन्हा कितने महान है? वो तो अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ही बेहतर जानती होगी, तभी तो कहनेवाले ये भी कहते है कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को जनता की नजरों में यशवंत सिन्हा ने गिराया और नरेन्द्र मोदी की सरकार को जनता की नजरों में गिराने का काम वर्तमान वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बहुत ही बेहतर ढंग से कर दिया है, चुनाव जब भी हो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जनता का कोपभाजन बनना ही पड़ेगा।
पोस्ट पर कमेंट का विकल्प होना चाहिए, वैसे इस विकल्प के रहने पर कुछ लोग इसका नाजायज फ़ायदा उठा कर उलता सीधा लिखना शूरु कर देते हैं, पर पोस्ट अच्छा लगा या नहीं और उसमें क्या छूटा यह बताने के लिए पाठक के पास विकल्प होना चाहिए।