ये रेलवे टिकट काउंटर वाले एक रुपये के सिक्कों को देख भड़क क्यों जाते हैं?
ये रेलवे टिकट काउंटर वाले एक रुपये के सिक्कों को देख भड़क क्यों जाते हैं? क्या केन्द्र सरकार ने एक रुपये के सिक्के को बैन कर दिया? यह सवाल केन्द्र सरकार के रेलवे मंत्रालय से है। ये आपके रांची रेल मंडल अथवा धनबाद रेल मंडल के विभिन्न स्टेशनों पर बने टिकट बुकिंग काउंटर पर बैठे बुकिंग क्लर्क एक रुपये के नये छोटे सिक्के देख भड़क क्यों जाते हैं? वे इन एक रुपये के नये छोटे सिक्के को लेने से इनकार क्यों करते हैं? क्या भारत सरकार ने इन एक रुपये के छोटे सिक्के को उपयोग में लाने से प्रतिबंधित कर दिया हैं?
धनबाद रेल मंडल हो या रांची रेल मंडल, यहां के विभिन्न स्टेशनों पर बने टिकट बुकिंग काउंटर पर आप रेलयात्रियों को बुकिंग क्लर्कों से झगड़ते हुए आराम से देख सकते हैं, ये लड़ाइयां होती हैं, एक रुपये के नये छोटे सिक्के को लेकर। टिकट बुकिंग काउंटर पर बैठे क्लर्क इन सिक्कों को लेने से इनकार करते हैं और यहीं से शुरु होता हैं, झंझटों का सिलसिला।
रेलयात्रियों का कहना होता है कि जब वे इन सिक्कों को दूसरे से ले सकते हैं तो फिर ये इन सिक्को को लेने से इनकार क्यों कर रहे हैं? क्या भारत सरकार ने इनके यहां कोई सर्कुलर जारी किया हैं कि ये इन सिक्कों को लेने से इनकार कर दें। कभी-कभी तो इन टिकट बुकिंग काउंटर पर ऐसी हास्यास्पद स्थिति हो जाती है कि कई रेलयात्रियों की ट्रेने छूट जाती है, आश्चर्य होता है कि टिकट बुंकिंग काउंटर पर दिक्कत पैदा कर रहे, इन बुकिंग क्लर्कों की मदद करने/पक्ष लेने में इनके हेड बुकिंग क्लर्क भी साथ देने लगते हैं।
विद्रोही24.कॉम की मानें तो जब इसके संवाददाता ने इसकी जांच करने के लिए नये छोटे सिक्कों को इन बुकिंग काउंटर पर देने की कोशिश की, तो उसके साथ भी यहीं दिक्कत आई, बुकिंग क्लर्क ने उन सिक्कों को लेने से इनकार किया, पर जैसे ही इसकी शिकायत विद्रोही24.कॉम ने हेड बुकिंग क्लर्क से की और कहा कि क्या आपके यहां ऐसा कोई सर्कुलर है कि आपको एक रुपये के नये सिक्के लेने नहीं हैं, तब इसके उत्तर देने के बजाय टिकट निर्गत कर दिये गये, अब सवाल उठता है कि ये गड़बड़ियां यहां क्यों हो रही है, और इस पर रोक कौन लगायेगा, अच्छा होता रेलवे विभाग के वरीय अधिकारी इस सवाल का जवाब देते तथा इन समस्याओं पर रोक लगाने का प्रयास करते।