ये भाजपावाले रील बनाते ही क्यों हैं? जब इनकी रील को कोई पसन्द नहीं करता, न ही इनके रील पर कोई कमेन्ट्स करता है और न ही कोई इनके रील को शेयर करता है। आखिर ये रील पर इतनी मगजमारी क्यों करते हैं?
ये भाजपावाले रील बनाते ही क्यों हैं? जब इनकी रील को कोई पसन्द नहीं करता, न ही इनके रील पर कोई कमेन्ट्स करता है और न ही कोई इनके रील को शेयर करता है। आखिर ये रील पर इतनी मगजमारी क्यों करते हैं? आखिर ये जो अपना सोशल मीडिया व आइटी सेल खोलकर, उसमें सैकड़ों लोगों को रखकर उनसे काम लेते हैं, उन पर करोड़ों खर्च करते हैं। उससे भाजपा को क्या मिलता हैं?
जब इतना करने पर भी हार ही जाना हैं, सत्ता हाथ लगनी नहीं हैं, तो फिर यार ये सब बंद क्यों नहीं कर देते, तुम्हारे से अच्छे तो झामुमो के लोग हैं, जिनकी रील पर लाइक, कमेन्ट्स और शेयर की बरसात होती रहती हैं, जबकि तुम्हारे जैसा वे आदमी भी नहीं रखे हैं। बस छोटी सी उनकी टोली है, जो आप जैसे सैकड़ों पर भारी पड़ रही हैं। जानते हो, इसका कारण, इसका मूल कारण है कि वे झारखण्ड की जनता का नब्ज पकड़ चुके हैं।
वे उनलोगों को भी जान चुके हैं, जिनकी कलम की पकड़ राज्य की जनता तक हैं। वे आपके जैसे फालतू चीजों पर दिमाग नहीं लगाते। उनकी आंखे व मस्तिष्क उस काठ की बनी चिड़िया की आंख पर होती हैं, जिसको वेधन करना था, पांडवों को। लेकिन उस लक्ष्य को सिर्फ अर्जुन ने पहचाना और उसे वेध डाला। लेकिन आपलोग तो स्वयं में मठाधीश है। आपको तो जो बताने जायेगा, उसे ही बाहर का रास्ता दिखा देंगे और बाद में खुद भी बाहर जाकर झाल बजायेंगे और फिर किसी को दिल्ली से बुलवाकर या दिल्लीवाला खुद ही आ जायेगा और बाहर होने का कारण ढूंढने पर दिमाग लगायेगा।
आज ही बीजेपी झारखण्ड का फेसबुक देख रहा था। जिसमें एक दिसम्बर को एक रील डाला गया है। जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संबंधित हैं। आश्चर्य है कि उस रील को डाले 24 घंटे से ज्यादा हो चुके हैं। लेकिन उस रील को मात्र 53 लाइक मिले हैं। कमेन्ट्स तो एक भी नहीं हैं और मात्र आठ लोगों ने इसे शेयर किया हैं। यानी इतनी शर्मनाक, इतनी भद्द पीट रही है, इनकी रील की।
लेकिन इन भाजपा के लोगों को शर्म तक महसूस नहीं हो रही। विद्रोही24 ने इस पर कई बार इनका ध्यान आकृष्ट कराया। लेकिन ये ऐसे सोए हुए लोग हैं, जिनको जगना ही नहीं आता। शायद ये सोचते होंगे कि सोए रहने पर ही जब विधानसभा की 21 सीटें मिल जानी हैं तो ज्यादा जगने से क्या फायदा? आश्चर्य यह भी है कि ये सब हो रहा हैं तब, जब हार की समीक्षा के लिए भाजपा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष रांची में जमे हैं और प्रतिदिन भाजपा कार्यालय में बैठकर माथापच्ची कर रहे हैं।
यानी माथापच्ची के दौरान भी ये लोग सुधरने का नाम नहीं ले रहा और न ही अपने में सुधार ला रहा हैं। जब विद्रोही24 ने भाजपा के सोशल मीडिया व आइटी सेल से जुड़े एक व्यक्ति से संपर्क किया तो पता चला कि जिन-जिन लोगों ने भाजपा के सोशल मीडिया के लिए काम किया था। इन भाजपावालों ने उनकी मेहनत के पैसे तक नहीं दिये। एक फूटी कौड़ी तक नहीं दी।
तो फिर आखिर करोड़ों की राशि कहां गई? इसका जवाब भी कोई नहीं दे रहा। आज भी भाजपा के सोशल मीडिया में काम करनेवाले लोग भाजपा को जमकर कोस रहे हैं और उनके नेताओं को जमकर गालियां देकर अपना भड़ास निकाल रहे हैं। जबकि उधर झामुमो की बल्ले-बल्ले हैं। झामुमो का एक-एक कार्यकर्ता व सोशल मीडिया से जुड़ा सदस्य इस बात को लेकर गर्व कर रहा है कि उनकी मेहनत सफल रही और पार्टी ने उनका ध्यान रखा, सम्मान दिया।