अपनी बात

तुम्हारा सिनेमा हमने ही क्यों न बंद कराया हो, पर टैक्स तो तुम्हें देना ही पड़ेगा – सरकार

कोविड 19 को लेकर पूरे देश में सिनेमा हॉल बंद है। इस व्यवसाय से जुड़े लोग तबाह है। खासकर इन सिनेमा मालिकों की तो एक तरह से हालत ही पस्त हैं, क्योंकि पूर्व से ही सिनेमा हॉलों से दर्शकों की बन रही दूरियां और कोविड 19 के बाद से केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा इनका बंद कर दिया जाने के ऐलान ने सिनेमा हॉलों की हालत बद से बदतर कर दी। इन बदतर हालातों के बीच भी केन्द्र व राज्य सरकार के विभिन्न विभागों को इन पर दया नहीं आई है। ये और इन पर इस प्रकार से दबाव दे रहे हैं कि जो रही सही जान है, वो भी निकल जाये।

सिनेमा हॉल से जुड़े मालिकों व प्रबंधकों का कहना है कि कोविड 19 ने तो सिनेमा हॉलों की जान ही निकाल ली है, और उसके बावजूद भी केन्द्र व राज्य सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा टैक्स जमा करने के लिए दबाव डालना, कहा की शराफत है। जब सिनेमा हॉल ही बंद रहेंगे तो अपना खर्च जुटाना जहां मुश्किल है, वहां टैक्स लोग कहां से जमा करेंगे। ये तो सरकार को सोचना ही चाहिए।

एक और विभिन्न उद्योगों को केन्द्र व राज्य सरकार विभिन्न मामलों मे छूट दे रखी है, पर सिनेमा मालिकों के लिए वो छूट तो कही नहीं दिखाई पड़ रही। सिनेमा मालिकों व प्रबंधकों का कहना है कि सरकार को चाहिए कि वर्तमान हालातों को देखकर कम से कम दो सालों तक के लिए नगर निगम, विद्युत विभाग, इपीएफ, सिनेमा लाइसेन्स रिन्यूवल एवं जीएसटी आदि की टैक्सों को जमा करने में छूट दी जाये, ताकि सिनेमा हॉलों से जुड़े लोग तबाह होने से बच जाये।

सिनेमा मालिकों व प्रबंधकों का यह भी कहना है कि जब सिनेमा हॉल बंद है, तो सिनेमा मालिक टैक्स कहां से जमा करेगा?  इधर प्रतिदिन नगर निगम से फोन आता है कि अपना टैक्स जमा करिये,नहीं तो कानूनी कार्रवाई किया जायेगा, वही इपीएफ, जीएसटी वालों का अलग से दबाव आ रहा है, तो सरकार बताएं कि जब सिनेमा ही बंद हैं, तो इन सबके टैक्स के पैसे कहां से आयेंगे, इसलिए या तो सिनेमा हॉलों को पुनः चालू करने का अधिसूचना जारी करें, तब जाकर दबाव बनाएं तो कुछ ठीक भी रहेगा, पर खुद बंद कराके अपने विभागों से टैक्स के लिए दबाव बनाना कतई ठीक नहीं।