क्या सरसंघचालक मोहन भागवत के बयान का असर CM रघुवर या उनके अनुयायियों पर पड़ेगा?
पहले आज नागपुर में आयोजित विजयादशमी उत्सव के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत का बयान देखिये। उन्होंने आज जोर देकर कहा है कि महिलाओं के सम्मान को लेकर पाठ्यक्रम से लेकर शिक्षकों के प्रशिक्षण तक आमूल-चूल परिवर्तन करने होंगे। उन्होंने यहां तक कह दिया कि केवल ढांचागत परिवर्तन करने से कुछ नहीं होगा।
देश व परिवार में संस्कारों का क्षरण और सामाजिक मूल्यों वाली शिक्षा का अभाव होने के कारण ही महिलाओं को सम्मान नहीं मिल पा रहा। उन्होंने कहा रामायण और महाभारत बताते हैं कि महिला की सम्मान और रक्षा के लिए कितने बड़े युद्ध हुए और ये दृष्टांत रखकर वे यह कहने से भी नहीं चूंके कि महिलाओं को देखने की पुरुषों की दृष्टि में हमारी संस्कृति के पवित्रता और शालीनता के संस्कार भरने ही होंगे यानी पुरुषों को महिलाओं को देखने की दृष्टि बदलनी होगी।
अब सवाल उठता है कि इस बयान का असर राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास या भाजपा के अन्य शीर्षस्थ नेताओं पर पड़ेगा या नहीं, या सरसंघचालक मोहन भागवत का बयान राज्य के मुख्यमंत्री अथवा भाजपाइयों के लिए नहीं हैं। हाल ही में जिस प्रकार से एक महिला की हत्या का आरोपी शशिभूषण को भाजपा प्रदेश मुख्यालय में बड़े ही गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया और इस दौरान वहां इस आरोपी का विरोध कर रहे महिला की पिटाई की गई, उसे मंच से उतारा गया, उसकी बेइज्जती की गई, आखिर यह क्या बताता हैं?
हाल ही में आंदोलनरत आंगनवाड़ी महिलाओं पर एक पुलिस पदाधिकारी ने हाथ छोड़ा, डंडे बरसाएं, ये क्या बताता हैं? हाल ही में जिस प्रकार से सीएम के चहेते बाघमारा के दबंग भाजपा विधायक पर ढुलू महतो के उपर यौन शोषण के आरोप लगे और उसे जिस प्रकार सीएम रघुवर द्वारा बचाने के प्रयास किये गये और हाई कोर्ट ने जब संज्ञान लिया तब जाकर कुछ दिन पहले उस भाजपा विधायक के खिलाफ धनबाद के कतरास थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई, वो साफ बताता है कि सरसंघचालक मोहन भागवत के बयान से, राज्य के सीएम रघुवर के कृत्य मेल नहीं खाते, और अगर मेल नहीं खाते, तो राज्य का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कर क्या रहा हैं, आखिर उसे किस बात का इंतजार है, ऐसे लोगों को दिशा-निर्देश कौन देगा?
आप यह कहकर बच भी नहीं सकते कि संघ का राजनीति से कोई मतलब नहीं, क्योंकि अब राज्य ही नहीं, बल्कि देश जान चुका है कि भाजपा, संघ की एक राजनीतिक विंग हैं, जिसके इशारों पर भाजपा नेता चला करते हैं, इसलिए सरसंघचालक अथवा नागपुर तक राज्य के सीएम व उनके लोगों के कुकृत्यों को कौन पहुंचायेगा? आम जनता तो नहीं पहुंचा सकती और सच्चाई यह भी है कि तिकड़म कर सत्ता प्राप्त कर लेना, अलग बात हैं और जनता को विश्वास में लेना अलग बात हैं।
सच्चाई यह है कि राज्य में संघ पर ऐसे लोगों ने अपना कब्जा जमा लिया हैं, जिन पर कई दाग हैं, वे सत्ता के मेल से अपने और अपने लोगों का कायाकल्प कर रहे हैं और संघ के नाम पर संघ में होनेवाले कार्यक्रमों में अपनी थोड़ी बहुत सेवा व आर्थिक मदद उपलब्ध करा देते हैं और उसके बदले में राज्य सरकार से जमकर आर्थिक लाभ ले रहे हैं, जिससे राज्य में संघ की भी छवि धूमिल हो रही हैं, और इन दिनों महिलाओं को लेकर जो राज्य के भाजपा नेताओं में घटियास्तर की मनोवृत्ति का जन्म हुआ हैं, उससे तो लगता है कि आनेवाले समय में भाजपा की स्थिति वर्तमान कांग्रेस जैसी होनी तय हैं, क्योंकि पेट्रोल तो फैल चुका, बस माचिस की तीलियों को उपयोग में लाना बाकी हैं, अगर अभी भी संघ के लोग नहीं संभलें तो आनेवाले समय में संघ को भी भुगतना पड़ेगा, क्योंकि जब आग लगेगी तो कोई बचेगा नहीं, उसमें जलकर सभी खाक होंगे।