चंद दिनों में ही कमलनाथ ने दिखाया अपना असली चेहरा, बिहार-यूपी के लोगों के खिलाफ आग उगला
दरअसल उत्तरप्रदेश के कानपुर में जन्मे एवं मध्य प्रदेश के नये-नये मुख्यमंत्री बने कमलनाथ ने सोमवार को कुछ भी गलत नहीं बोला, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों से कांग्रेस पार्टी के चरित्र में बड़ा बदलाव आया है, बड़े-बड़े प्रान्तों से कांग्रेस का जनाधार अचानक विलुप्त होना, इसका मूल कारण रहा हैं, अब ये विभिन्न राज्यों में फिर से कैसे स्वयं को मजबूत करें, इसके लिए अब ये तरह-तरह के हथकंडे अपनाने शुरु कर दिये हैं।
जैसे अभी चूंकि कांग्रेस को मध्यप्रदेश में बहुमत नहीं है, उसे मध्यप्रदेश में अभी भी खुद को मजबूत करना है, तथा आनेवाले लोकसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा लोकसभा की सीटें निकालनी है तथा अपनी प्रमुख प्रतिद्वंदी भाजपा को शिकस्त देना है, तो उसके लिए इन्होंने तरह-तरह के हथकंडे अभी से अपनाने शुरु कर दिये है, जिसमें कमलनाथ का वो बयान भी शामिल है, जिसमें उन्होंने कहा कि बिहार और यूपी के लोगों के कारण मध्यप्रदेश में स्थानीय लोगों को नौकरी नहीं मिल पाती। कमलनाथ को लगता है कि इस प्रकार के बयान से मध्यप्रदेश में कांग्रेस के प्रति वोटों की गोलबंदी होगी, मध्यप्रदेश के युवा कांग्रेस को एकमुश्त वोट दे देंगे और भाजपा को वे ठिकाने लगाने में कामयाब हो जायेंगे।
ऐसे महाराष्ट्र की शिवसेना हो या महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना या कांग्रेस की दिल्ली की मुख्यमंत्री रह चुकी शीला दीक्षित हो या मध्यप्रदेश का नया-नया मुख्यमंत्री बना कमलनाथ, इन सभी को इटली से भारत आकर राजनीति कर रही सोनिया गांधी में कोई बुराई नहीं दिखती, जो इटली से भारत आई और पिछले कई वर्षों से यूपी की रायबरेली सीट से लोकसभा का चुनाव जीतती आ रही है।
पर यूपी की जनता ने इटली में जन्मी सोनिया को कभी निराश नहीं किया और न ही उन्हें गैर माना, पर एमपी के कांग्रेसी मुख्यमंत्री कमलनाथ को बिहार और यूपी के लोगों में भारी मात्रा में गड़बड़ियां दीख जाती है, खुद कमलनाथ मध्यप्रदेश के लिए बाहरी है, जिसने ज्योतिरादित्य सिंधिया को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनने नहीं दिया, इस पर उसे शर्म नहीं आ रही, पर बिहार और यूपी के लोग मध्यप्रदेश के लोगों की नौकरी खा जाते है, इसका दिव्य ज्ञान उसे सीएम बनते ही हासिल हो गया।
ये वहीं कमलनाथ है, जिन पर सिक्खों के खिलाफ दंगे भड़काने का आरोप है, भाजपा के तेजिंदर सिंह बग्गा तो कमलनाथ के खिलाफ भूख हड़ताल पर भी बैठ गये, तेजिंदर सिंह बग्गा की मांग है कि कमलनाथ को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद से हटाया जाय, क्योंकि 1984 के सिक्ख विरोधी दंगों में कमलनाथ का हाथ रहा है। बग्गा का कहना है कि जब तक सिक्खों के हत्यारे मध्यप्रदेश के नये मुख्यमंत्री कमलनाथ को उनके पद से नहीं हटाया जाता, उनका आंदोलन सतत् जारी रहेगा।
बग्गा ने तो यहा तक कह दिया कि कांग्रेस पार्टी कमलनाथ को एमपी का मुख्यमंत्री बनाकर सिक्खों के जख्मों पर नमक छिड़क रही है। ज्ञातव्य है कि 1984 में श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के दंगों में कांग्रेस के सज्जन कुमार और कमलनाथ भी शामिल थे, ऐसा दंगा से प्रभावित दंगा पीड़ितों का आरोप है, सज्जन कुमार तो इस मामले में दोषी भी सिद्ध हो गये और न्यायालय ने उम्र कैद की सजा भी सुना दी, ऐसे भी सिक्ख दंगों में शामिल होने के आरोप पर कमलनाथ का विरोध अब बड़े पैमाने पर शुरु हो गया है।
कुछ दिन पहले मध्यप्रदेश के किसानों को दो लाख रुपये तक के कर्ज माफी पर लोकप्रियता बटोरनेवाले कमलनाथ की सारी लोकप्रियता कल के यूपी और बिहार के लोगों के खिलाफ दिये गये बयाने से काफूर हो गई है। हालांकि लोग इसमें भी राजनीति बता रहे है, कुछ लोगों का कहना है कि चुनाव के समय कांग्रेसियों ने कहा था कि किसानों के सारे कर्ज माफ कर देंगे, पर यहा तो दो लाख रुपये तक जाकर ही मामला अटक गया, ऐसे भी कांग्रेस या कमलनाथ ने अपनी पार्टी फंड से थोड़े ही किसानों के कर्ज माफ किये है।
ये तो जनता के पैसे हैं, जनता को मिल रहे हैं, अगर कोई अपने मेहनत का पैसा जनता पर खर्च करे, तब जाने कि कमलनाथ सचमुच किसानों से प्रेम करते है, जैसा कि महाराष्ट्र और उत्तरप्रदेश के किसानों के कर्ज चुकाने के लिए सुप्रसिद्ध फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन ने अपना हृदय का द्वार खोला, ये नेता तो जिंदगी भर नेतागिरी करेंगे, वैमनस्यता फैलायेंगे, अपने फायदे के लिए दंगे भड़कायेंगे, इससे ज्यादा इनको आता भी है क्या?
कुछ लोग तो ये भी कहते है कि मध्यप्रदेश में तो बिहार और यूपी के लोग नौकरियां छीन रहे हैं, और झारखण्ड में अजय कुमार को झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाकर, झारखण्ड के जमीन से जूड़े नेताओं के भविष्य के साथ कौन खिलवाड़ कर रहा है, क्या ये कमलनाथ जैसे लोग, झारखण्ड की जनता को बतायेंगे?
दरअसल कमलनाथ जैसे लोग इस देश में जब तक रहेंगे, शांति और भाईचारा कभी नहीं होगी, ऐसे में हम सभी देशवासियों को चाहिए कि ऐसे नेताओं के मकड़जाल में कभी न पड़ें, याद रखें ये नेता ऐसे घाव है, जो कभी खत्म नहीं होते, नये-नये रुप लेकर हमारे सामने आते है, इनसे बचने का एक ही उपाय है, सिर्फ और सिर्फ सावधानी और कुछ नहीं।