बिना लक्ष्य निर्धारित किये, जीवन जीना व्यर्थ है, लक्ष्य ईश्वर को पाना हो तो इससे ज्यादा सुंदर दूसरा कोई लक्ष्य हो ही नहीं सकता – ब्रह्मचारी निर्मलानन्द
याद रखिये, जीवन में बिना लक्ष्य निर्धारित किये, जीवन जीना व्यर्थ है। हमें हमेशा अपना एक लक्ष्य निर्धारित कर लेना चाहिए और उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरन्तर प्रयास करते रहना चाहिए। लक्ष्य आध्यात्मिक पथ पर चलते हुए ईश्वर को प्राप्त करने का है तो इससे सुंदर दूसरा कोई अन्य लक्ष्य हो ही नहीं सकता। ये बातें आज योगदा सत्संग मठ में आयोजित रविवारीय सत्संग में आये योगदा भक्तों को संबोधित करते हुए ब्रह्मचारी निर्मलानन्द ने कही।
उन्होंने कहा कि ईश्वर ने प्रत्येक के अंदर, उसके लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक तंत्र विकसित कर रखी हैं। इसलिए लक्ष्य का किसी भी हालत मे परित्याग न करें, क्योंकि बिना लक्ष्य के मनुष्य बिखर जाता है। उन्होंने इस पर सुप्रसिद्ध खिलाड़ी अभिनव बिंद्रा का एक दृष्टांत भी सुनाया, कि कैसे वे स्वर्ण पदक प्राप्त करने के बाद भी छह महीने तक डिप्रेशन में रहे।
ब्रह्मचारी निर्मलानन्द ने कहा कि याद रखिये प्रत्येक लक्ष्य स्पष्ट होना चाहिए। लक्ष्य को कभी भी अपने आंखों से ओझल मत होने दीजिये, उसे हमेशा याद रखिये। उसे अपने स्वभाव में स्थान दीजिये। हमेशा उस लक्ष्य को, उस स्वप्न को समय-समय पर अपने मन-मस्तिष्क में विज्युलाइज्ड करते रहिये, क्योंकि परमहंस योगानन्द जी बार-बार कहा करते थे कि इस दुनिया में आपके लिए कुछ भी प्राप्त करना असंभव नहीं हैं, यदि आपने अपने लक्ष्य निर्धारित करने के बाद उसके लिए निरन्तर प्रयासरत है।
उन्होंने कहा कि हमेशा याद रखिये, आप ईश्वर के अंश हैं, उसी से आये हैं और उसी में विलीन हो जाना हैं। अतः लक्ष्य भी ईश्वर को पाना ही होना चाहिए। जब आप आध्यात्मिक जीवन जीने को अग्रसर होते हैं तो ये सब कुछ संभव हो जाता है। उन्होंने कहा कि परमहंस योगानन्द जी ने कहा था कि जो साधना करते हैं, जिनकी दिनचर्या आध्यात्मिकता से प्रारंभ होती हैं और आध्यात्मिकता पर ही समाप्त होती हैं, जिन्होंने क्रियायोग को अपनाया हैं, उनके लिए ईश्वर को पाना सरल व सहज हैं।
उन्होंने कहा कि हमें अपनी अंतरात्मा से बराबर यह पूछना चाहिए कि क्या हमारा अंतर्मन ईश्वर के प्रेम से भरा है? हमें हर हाल में रचनात्मक गतिशीलता पर ध्यान देना चाहिए। अच्छी सोच व ईश्वर की ओर ले जानेवाली प्रेरणादायक पुस्तकें हमारी आध्यात्मिक पथ को बार-बार आलोकित करती हैं, हमें ईश्वर की ओर ले जाने में सहायक बनती है।
उन्होंने कहा कि हमें हमेशा रेडियो की तरह ईश्वर के प्रति ट्यूनिंग बनानी चाहिए, मतलब हमारा मन हमेशा ईश्वर को पाने के लिए उनकी ओर ध्यानस्थ होना चाहिए, तभी हम लक्ष्य को प्राप्त कर पायेंगे, और जब ऐसा हो जायेगा तो आपको आपके जीवन के सारे प्रश्न ही हल हो जायेंगे। हमेशा ध्यान करिये और उसके आनन्द को महसूस कीजिये। अपनी इच्छाशक्ति को हमेशा मजबूत बनाये रखिये, क्योंकि आपकी इच्छाशक्ति ही ईश्वर को पाने में मूल रुप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।