अपनी बात

भाजपा की सूची में अर्जुन मुंडा की पत्नी, रघुवर की बहू, चम्पाई के बेटे, सजायाफ्ता ढुलू के भाई के नाम देख भड़के कार्यकर्ता, कहा रायशुमारी के नाम पर धोखा देनेवालों को सिखायेंगे सबक, इधर मेनका सरदार ने दिया इस्तीफा

भारतीय जनता पार्टी द्वारा आज सायं जारी प्रत्याशियों की सूची ने भाजपा द्वारा पोसे गये चिलगोजों, उनके चाहनेवाले प्यारे-प्यारे पत्रकारों के मुंह पर करारे तमाचे तो जड़े ही, साथ ही अपने जन्मकाल यानी जनसंघ से लेकर वर्तमान भारतीय जनता पार्टी को अपने चाल व चरित्र से सींचनेवाले महान नेताओं- कार्यकर्ताओं के मुंह पर भी कालिख पोत दिये।

पहली बार भाजपा के बड़े-बड़े नेताओं ने भाजपा कार्यकर्ताओं के सीने पर कील ठोकते हुए, प्रदेश में रहनेवाले शीर्षस्थ नेताओं व सजायाफ्ता लोगों पर कृपा बरसायी तथा उनके रिश्तेदारों यानी पत्नी-बहू-भाई-बेटे को टिकट देकर झारखण्ड की जनता को बता दिया कि वे भी किसी अन्य दल से कम नहीं हैं। बस मौका मिलना चाहिए तो ये अन्य दलों को भी चरित्रहीनता में पछाड़कर कीर्तिमान स्थापित कर सकते हैं।

जरा देखिये। आज की सूची को। प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके अर्जुन मुंडा ने अपनी हार से घबराकर, खुद नहीं लड़ने की ठानी और अपनी पत्नी मीरा मुंडा को पोटका से टिकट दिलवा दिया। इसी तरह प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके और वर्तमान में ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास ने अपनी बहू पूर्णिमा दास साहू को जमशेदपुर पूर्व से टिकट दिलवा दिया। इसी प्रकार सजायाफ्ता धनबाद का सांसद ढुलू महतो ने अपनी बाघमारा विधानसभा सीट से अपने भाई शत्रुघन महतो को टिकट दिलवा दिया।

इसी प्रकार पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके चम्पाई सोरेन ने खुद सरायकेला से और अपने बेटे बाबूलाल सोरेन को घाटशिला से टिकट दिलवा दिया। पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने अपनी पत्नी गीता कोड़ा को जगन्नाथपुर से टिकट दिलवा दिया। ये सारे प्रमाण है भाजपा के चरित्रहीनता की सीढ़ी चढ़ने की अर्थात् राजनीति में भाई-भतीजावाद तो आपने जरुर सुना होगा। अब पत्नीवाद और बहूवाद का भी मजा लीजिये। इसका वृक्षारोपण अब भाजपा ने भी बड़े पैमाने पर शुरू कर दिया है।

राजनीतिक पंडितों का मानना हैं कि आज की भाजपा की सूची ने बता दिया कि भाजपा में कार्यकर्ता सिर्फ झोले ढोने, दरी बिछाने, इन नेताओं के परिवारों के आगे चंवर डूलाने के लिए ही पैदा लिये हैं। यही नहीं, इनमें से कई उम्मीदवार ऐसे हैं जो दूसरे दलों से आयात करके लाये गये हैं। कुछ तो ऐसे अपराधी हैं, जो रांची के अखबारों की सुर्खियां तक बन गये और बाद में भाजपा नेताओं के कृपा से पुलिस प्रशासन को अपनी ओर करके नेता ही नहीं बल्कि विधायक बन गये। वे इस बार भी सूची में दिख रहे हैं।

बताया जा रहा है कि इस सूची के आने के बाद से पूरे प्रदेश में कार्यकर्ताओं में आक्रोश भड़क चुका है। समर्पित कार्यकर्ताओं ने विद्रोही24 से बातचीत में कहा कि वे इस बार जमकर काम करेंगे। लेकिन भाजपा को जीताने के लिए नहीं, बल्कि हराने के लिए। स्थिति भाजपा के लिए बद से बदतर हो गई हैं और यही स्थिति झामुमो के लिए वरदान का रूप ले रही हैं।

पोटका से खबर है कि भाजपा की सूची प्रकाशित होने के बाद वहां से भाजपा के टिकट पर कई बार विधायक रही मेनका सरदार ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया हैं और यह इस्तीफा उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को संप्रेषित कर दिया हैं। पूरे प्रदेश में कही गोपणीय तो कही खुले तौर पर भाजपा कार्यकर्ताओं व नेताओं ने मीटिंग कर अपना आक्रोश जताना शुरु कर दिया हैं।

उधर जिन चिलगोजों के द्वारा भाजपा के प्रदेश नेताओं ने रांची के अपने पत्रकारों से कहलवाकर प्रत्याशियों की संभावित सूची के नाम पर गंध फैलाया था। उन चिलगोजों-पत्रकारों को भी आज बहुत बड़ा झटका लगा है। जो कल तक हटिया से अजय नाथ शाहदेव को भाजपा के टिकट पर लड़वा रहे थे, जो अजय नाथ शाहदेव को भाजपा में शामिल कराने में जुटे थे। जो कल तक रांची से नवीन जायसवाल को टिकट दिलवा चुके थे। जो कांके से कल तक कमलेश राम को भाजपा का टिकट दिलवा चुके थे। वे सारे चिलगोजे और वे सारे पत्रकार आज कही मुंह दिखलाने के लायक नहीं रहे। जो पत्रकार, भाजपा के द्वारा पाले गये चिलगोजों के कहने पर आकर संभावित प्रत्याशियों की सूची का कुछ दिन पहले गंध फैलाया था। आज उनका चेहरा देखते बन रहा है।

बताया यह भी जा रहा है कि रांची से सी पी सिंह का टिकट कटने पर सी पी सिंह ने भी विद्रोह का बिगुल फूंकने का ऐलान किया था। लेकिन दिल्ली में बैठे इनके जाति के एक नेता ने इनके लिए वीटो पावर का उपयोग किया, तब जाकर सीपी सिंह को रांची से टिकट मिला है। हालांकि राजनीतिक पंडित ये भी कहते हैं कि दिल्ली में बैठे इनके प्रिय नेता ने टिकट तो दिलवाने में कामयाबी हासिल कर ली। लेकिन रांची से ये जीत ही जायेंगे। इस बार ये कहना मुश्किल है। क्योंकि इस बार सीपी सिंह के लिए एक ही गाना खुब चल रहा है। वो गाना है – बहुत कठिन है डगर पनघट की …

इसी प्रकार धनबाद में राज सिन्हा को भाजपा का टिकट तो मिल गया। लेकिन सजायाफ्ता धनबाद का भाजपा सांसद ढुलू महतो के समर्थकों ने राज सिन्हा के खिलाफ सोशल साइट पर ऐसी-ऐसी गंदी गालियां लिखी हैं कि वो पोस्ट में यहां शेयर नहीं कर सकता। लेकिन सजायाफ्ता सांसद ढुलू महतो के समर्थकों ने जमकर राज सिन्हा के खिलाफ गंदी-गंदी बातें लिखी और उसे शेयर भी करवाया। मतलब भाजपा में इन दिनों किस प्रकार के लोग आकर गंध मचा रहे हैं। वो यह बताने के लिए काफी है कि भाजपा कोई अब दूध की धूली नहीं हैं। यह भी प्योर वहीं हैं। बस केवल नाम भारत और उसकी जनता से जुड़ा है। जिनको लगता है कि इसमें सत्यता नहीं हैं। वे विद्रोही24 के साथ सम्पर्क करें। विद्रोही24 के पास हर बात का प्रमाण मौजूद हैं।

इधर पूरे प्रदेश के भाजपा कार्यकर्ता सोशल साइट पर मुखर है। उनका कहना है कि जब अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा, चम्पाई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन, रघुवर दास की बहू पूर्णिमा, सजायाफ्ता ढुलू के भाई शत्रुघ्न, मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा को ही टिकट देना था तो रायशुमारी करवा कर, हम भाजपा कार्यकर्ताओं की इज्जत से प्रदेश और केन्द्र के नेताओं ने क्यों खेला? अब हम दिखायेंगे कि हमारी इज्जत से खेलने का क्या मतलब होता है। भाजपा को एक-एक सीट के लिए तरसा देंगे। बतायेंगे कि भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ छल करने का क्या परिणाम होता है?