अपनी बात

धनबाद में BJP की चुनावी सभा में कार्यकर्ताओं के टोटे, भाजपाइयों ने ही बनाई खाली कुर्सियों की वीडियो, अब खुद अपने मित्रों को भेजकर ले रहे मजे, ढुलू मंच से चिल्लाते रहे, जनता नहीं आई

बेचारा धनबाद का भाजपा प्रत्याशी ढुलू महतो मंच से चिल्ला रहा था कि कार्यकर्ता कुर्सी पर आकर बैठ जाये। लेकिन कार्यकर्ता रहे तब न जाकर कुर्सी पर बैठे। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा भी बेचारे भाजपा के कार्यकर्ताओं व आम जनता की दूरियों को भांप गये और बेचारे गर्मी व तपती धूप पर ही अपना ध्यान केन्द्रित करते रहे।

हमेशा की तरह मंच पर तो भीड़ थी, लेकिन यही भीड़ नीचे नदारद थी। कई भाजपा नेता तो इस पर चुटकी लेने से बाज नहीं आये। कोई आगे से भीड़ का फोटो ले रहा था तो कोई पीछे से और फिर बड़ी प्रेम से मजे लेते हुए अपने लोगों को वह फोटो व वीडियो शेयर कर रहा था। दरअसल आज ढुलू महतो का धनबाद सीट से भाजपा प्रत्याशी के रुप में नामांकन का दिन था।

इसलिए आज के दिन एक चुनावी सभा भी रखी गई थी। भारी भरकम, लाव-लश्कर की व्यवस्था की ताल ठोकी गई थी। भाई ताल ठोका क्यों न जाये। आज टाइगर सेना, विशुद्ध वामपंथी एटक समर्थक नेता सह भाजपा नेता, बाबूलाल मरांडी की खोज व प्यारे-दुलारे दबंग नेता ढुलू महतो की सभा थी, कोई सामान्य नेता की सभा थोड़े ही थी।

भगवान की कृपा से पैसों की थोड़े ही कमी उनके पास है। उनके यहां तो मीडिया चरणवंदना करती है। उनके एक इशारे पर तो सामान्य से लेकर प्रशासन तक के लोग कतारबद्ध होकर खड़े हो जाते हैं। लेकिन इतने प्रभावशाली ढुलू की नामांकन पर्चा दाखिल होने के दिन भीड़ का नदारद हो जाना और उनके ही पार्टी के लोगों का वीडियो बनाकर इधर से उधर पहुंचाना, ये बातें कुछ हजम नहीं हुई।

आज की विशुद्ध रुप से भाजपा की फ्लाप रैली, धनबाद के परिणाम बताने के लिए काफी है। लेकिन बात वहीं हैं कि कांग्रेस ने सब कुछ जानते हुए कि यहां की जनता ढुलू से एन्वायड हैं, ऐसा कैंडिडेट लाकर खड़ा कर दिया, कि जनता एक से तो पहले से ही नाराज थी, दूसरा ने तो गड्डमगड्ड ही कर दिया। ले-देकर, परिणाम क्या आयेगा। सबको पता है।

लेकिन आज की रैली में जनता और भाजपा-कार्यकर्ता का ढुलू से पल्ला झाड़ लेना और अपने सेहत का ध्यान रखना, एक बहुत बड़ा संदेश दे दिया कि आज का कार्यकर्ता व आज की जनता इन नेताओं के चरित्र को बहुत अच्छी तरह जान चुकी हैं और इनका जो चरित्र है, उस चरित्र को देखते हुए इनके लिए जान तो दूर, इनकी सभा में पहुंचना भी अब जरुरी नहीं समझती। चाहे वे कितना भी पैसा खर्च क्यों न कर दें?