वाह री सत्ता, तुम्हारी गलती, गलती और मेरी गलती, भला वो गलती कैसे हो सकती है? वो भी तब, जब मैं सत्ता में हूं
जैसा कि पूर्व से सभी को मालूम था कि जिस प्रकार भाजपा ने कल प्रेस कांफ्रेस कर हेमन्त सरकार को चुनौती दी, ठीक उसका जवाब आज हेमन्त सरकार की ओर से झारखण्ड मुक्ति मोर्चा अवश्य देगी, और पार्टी की ओर से मोर्चा संभालेंगे, झामुमो के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य और ठीक वैसा ही हुआ।
उन्होंने खोद-खोद कर भाजपा को कटघरे में खड़ा करने की असफल कोशिश की। जैसे भाजपा को नेताविहीन, मुद्दाविहीन, सवालविहीन होने की तोहमत लगा दी, जबकि सच्चाई यह है कि भाजपा ने अपने नेता के रुप में बाबू लाल मरांडी को पेश कर दिया है, पर झामुमो के इशारे पर अध्यक्ष रवीन्द्र नाथ महतो ने आगे की कार्यवाही पर ही रोक लगा दी है।
नहीं तो अब तक नेता प्रतिपक्ष घोषित हो चुका होता, हमें ये लगता है कि नेता प्रतिपक्ष का मामला झगड़ा का कम, रगड़ा का ज्यादा है। सीएम हेमन्त सोरेन ने संकल्प कर लिया है कि जब तक वे सीएम रहेंगे, बाबू लाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष बनने नहीं देंगे।
सुप्रियो भट्टाचार्य ने भाजपा के विधानसभा की घेराव की तुलना, उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर कांड से कर दी, सुप्रियो ने दावा किया कि भाजपा के नेताओं ने विधानसभा घेराव के नाम पर मुजफ्फरनगर जैसा ही कुछ करने का एक स्क्रिप्ट तैयार कर लिया था, ऐसा बयान सुनकर किसी को भी हंसी आ सकता है, पर हंसी पर रोक लगा लीजिये, वहीं ठीक है।
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कल तक कांग्रेस से राजनीति करनेवाले सरफराज अहमद, जो इस बार झामुमो का दामन थामकर चुनाव जीते हैं, अपने विधायक की खुब प्रशंसा की कि उन्होंने इस्लाम की खुबसुरती बयां कर दी कि विवादास्पद जगह पर वे लोग नमाज नहीं करते।
विवाद को समाप्त करने के लिए स्पीकर दवारा बनाई गई सात सदस्यीय कमेटी का भी उन्होंने श्रेय लेने की कोशिश की। विधानसभा में नमाज कक्ष बनाये जाने का पक्ष लेते हुए सुप्रियो ने कहा कि विभिन्न थानों में भी तो मंदिर स्थापित है, कई स्थानों पर जो कार्यक्रम उद्घाटित होते हैं, वहां भी तो सिन्दूर लगाये जाते, फूल-माला रखे जाते हैं, नारियल फोड़े जाते हैं, हिन्दू रीति-रिवाज का पालन किया जाता हैं।
वहां ये भाजपाई क्यों नहीं कहते कि ये भी गलत है, वहां तो ये खुब खुश होते हैं, पर सुप्रियो ने यह नहीं कहा कि ये सब जहां भी कुछ होता हैं, उसके लिए लिखित प्रमाण पत्र कोई सरकार या विभाग जारी नहीं करता, बल्कि जो जहां जैसा होता है, अपनी सुविधानुसार धार्मिक मान्यताओं को स्वीकार कर लेता है।
दरअसल होता यह है कि जब कोई पार्टी सत्ता में आती हैं, तो उसे लगता है कि दुनिया की सारी बुद्धि उसके हाथों गिरवी हो चुकी है, ठीक इसी प्रकार की स्थिति आज से ठीक दो साल पहले रघुवर दास शासनकाल में थी, उसके लोग खुद को भगवान समझने की कोशिश करने लगे थे। वे जिसको पाओ, उस पर केस करवा देते, उसे उठवाकर जेल में बदं करा देते, जीना हराम करा देते, नतीजा सबके सामने हैं।
आज ठीक वहीं वर्तमान में सत्ता में बैठे लोग कर रहे हैं, मनमर्जी शासन चला रहे हैं, जो मन में आया, बोल दे रहे हैं, अपनी पीठ थपा-थपा रहे हैं, पर ये भूल जा रहे है कि गलतियां वे भी कर रहे हैं और ये गलतियां ही उनके लिए 2024 में भारी पड़ेगी, पर शायद उन्हें लगता है कि ऐसे कौन 2024 तक रहेगा।
जितना दिन हैं, उतना ही दिन मस्ती करें, जब ऐसी सोच होगी तो फिर कार्यमंत्रणा समिति की बैठक की भी हवा निकलेगी ही। इसमें गया किसका न तो झामुमो का गया और न भाजपा का गया, मर तो गई जनता, जिन्होंने ऐसे निखट्टू नेताओं पर विश्वास किया।
सुप्रियो को भाजपा में दाग-ही-दाग नजर आये पर सत्ता में शामिल कांग्रेस पार्टी में शामिल नेताओं/विधायकों की गलतियां उन्हें नजर नहीं आई, इरफान अंसारी द्वारा लाया गया वो तथाकथित पंडित नजर नहीं आया, जिसे हनुमान चालीसा तो छोड़ दीजिये, वेद कितने हैं, पता ही नहीं था।
मतलब जो मेरा समर्थन करें, वो गलत भी हैं तो ठीक है, और जो मेरा समर्थन न करें, वो सही भी हैं तो ताल ठोककर, उस पर केस करवा दों, अगर यही करना ही सत्ता और सरकार का काम है तो करते रहिये, पर इसका प्रतिफल जब जनता देगी तो लेने के लिए भी तैयार रहियेगा, इससे ज्यादा हम क्या कहें?