आपने तूफान (हेमन्त सोरेन) को पिंजड़े में कैद करने की कोशिश की है, जब वो कैद से निकलेगा तो आप कहीं नहीं दिखेंगे, सदन में सत्तापक्ष व विपक्ष के बीच बहस के दौरान दिखी कड़ुवाहट
आज सदन में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का कार्यक्रम था। जिसकी शुरुआत सत्तापक्ष के वरिष्ठ नेता स्टीफन मरांडी ने की तथा सरकार की ओर से जवाब कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता आलमगीर आलम ने दिया। आज धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान कुछ विधायकों की बातों से सदन में गरमाहट भी देखने को मिली। बवाल भी हुआ। तीखी नोक-झोंक भी हुई। जब सरकार की ओर से आलमगीर आलम ने सदन को संबोधित करना शुरु किया तो विपक्ष के सभी सदस्यों ने सदन का बहिष्कार किया।
आज सदन में हालांकि बहुत सारे विधायकों ने अपनी बातें रखी। लेकिन सत्तापक्ष के सुदिव्य सोनू, निर्दलीय विधायक सरयू राय, भाकपा माले विधायक विनोद कुमार सिंह का भाषण हमेशा की तरह उच्च कोटि का था। जबकि दीपिका पांडेय का भाषण उनके अनुरुप नहीं दिखा, निराशाजनक भी था। दीपिका पांडेय जैसी तेजतर्रार और संभ्रांत महिला से मेरे जैसा पत्रकार इस प्रकार के भाषण की आशा नहीं रखता।
इरफान अंसारी अपने स्वभावानुसार बोले। भानु प्रताप शाही आज खूब जमे। जबकि अन्य का भाषण सामान्य रहा। स्पीकर रबीन्द्र नाथ महतो ने सत्तापक्ष और विपक्ष को बोलने का मौका मिले। इसका विशेष ध्यान रखा। सदन अब अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया है। लेकिन एक बात सदन के पटल पर अंकित हो गया कि हमारी भाषा और हमारा व्यवहार कैसा होना चाहिए। अगर सदन को बेहतर बनाना है, तो भाषा और व्यवहार पर सभी को ध्यान देना होगा।
कल जिस प्रकार हेमन्त सोरेन के भाषण के दौरान अभुतपूर्व शांति थी, सारे माननीय ध्यानपूर्वक सुन रहे थे। ऐसा ही सदन होना चाहिए। अपने विरोधियों की बातों को भी मनोयोग से सुनना एक अच्छे वक्ता के गुण है। लेकिन बात-बात में उमाशंकर अकेला और इरफान अंसारी को उठकर हर बात में अड़चन डालना कही से भी ठीक नहीं। उसी प्रकार भाजपा में भी एक-दो विधायक ऐसे हैं, जो बेवजह बोलना पसंद करते हैं। उन्हें भी अपने में सुधार लेना चाहिए। आइये अब हम देखते है कि सदन में किसने क्या कहा?
राजभवन की भूमिका संदिग्ध थी इसे स्वीकारना होगाः सुदिव्य
सत्तापक्ष के सुदिव्य सोनू ने अपने भाषण में कहा कि जब राजभवन की भूमिका संदिग्ध होगी तो सवाल उठेंगे। सदन में राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान सत्तापक्ष के विधायकों का आक्रोश उसी बात को इंगित कर रहा था। विपक्ष को यह नहीं भूलना चाहिए कि इसी राज्य ने बिना मुख्यमंत्री के अठारह से बीस घंटे गुजारे हैं।
सुदिव्य सोनू ने कहा कि जब आप प्रलोभन देकर चुने हुए प्रतिनिधियों को अपने पक्ष में नहीं मिला सकें तो प्रतिनिधियों ने भी अपना प्रतिरोध जताया। सुदिव्य सोनू ने कहा कि जितना संविधान के मूल भावनाओं को आपने तार-तार किया हैं। उतना आज तक किसी ने नहीं किया। आप झामुमो पर परिवारवाद का आरोप लगाते हैं।
लेकिन अपना गिरेबां कभी देखा है। हेमन्द्र प्रताप के बेटे भानु प्रताप, सुशांतो सेन गुप्ता की पत्नी अपर्णा सेन गुप्ता क्या ये परिवारवाद नहीं हैं। सुदिव्य सोनू ने कहा कि आपने तूफान को पिंजड़े में कैद करने की कोशिश की है। जब वो तूफान कैद से निकलेगा तो आप कही नहीं दिखियेगा। इसे जान लीजिये।
राजभवन को हेमन्त सोरेन मामले में यूज किया गयाः स्टीफन
इसके पूर्व राज्यपाल के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव की शुरुआत करते हुए स्टीफन मरांडी ने कहा कि हेमन्त सोरेन की गिरफ्तारी, वो भी राजभवन में, इसका मतलब है कि राजभवन को इस प्रकरण में यूज किया गया। स्टीफन मरांडी ने कहा कि राजभवन यह भूल गया कि शिबू सोरेन ने कई सोरेन पैदा कर दिये हैं। जिसमें एक हेमन्त सोरेन हैं तो दूसरे चम्पई सोरेन हैं।
उन्होंने कहा कि हेमन्त सोरेन की सरकार को द्वेष के कारण गिराया गया। यहां कोई लॉ एंड आर्डर का प्राब्लम नहीं था। हेमन्त सोरेन की गिरफ्तारी के कारण पूरा आदिवासी समाज आहत है, क्योंकि आदिवासी समाज को अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए हेमन्त सरकार ने फूलो झानो योजना तथा आपकी योजना आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम चलाकर एक से एक काम किये।
उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय को आगे कर कार्यपालिका और न्यायपालिका को निर्देश दिया जा रहा है। स्थिति ऐसी है कि अब लोकतंत्र हैं कहां? विधानसभा व संसद में अब हम जैसे लोगों की बोलने की मनाही हो रही है। ऐसे हालात में अब हम कहां जाये, सवाल तो यह उठ खड़ा हुआ हैं।
हमसे कानून व्यवस्था की बात करनेवाले मणिपुर क्यों भूल जाते हैः आलमगीर
इधर राज्यपाल के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर सरकार की ओर से जवाब देते हुए आलमगीर आलम ने कहा कि हेमन्त सरकार के नेतृत्व में उनकी सरकार अच्छी चल रही थी। आपकी योजना आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के तहत हम गांव-गांव, पंचायत तक पहुंच रहे थे। लेकिन इन्हें यह सब देखा नहीं गया। ये हमसे कानून व्यवस्था की बात करते हैं। लेकिन खुद मणिपुर में इन्होंने क्या किया, इस पर मुंह खोलना भी पसंद नहीं करते। हमनें फूड सेक्योरिटी बिल लाया और इसका श्रेय खुद लेना चाहते हैं। कांग्रेस ने हर पल देश की सेवा में खुद को लगाया है। इसका इतिहास गवाह है।
ऐसा कोई सगा नहीं, जिसे कांग्रेस ने डसा नहीं, इसलिए कांग्रेस से सावधान रहियेः भानु प्रताप
भाजपा विधायक भानु प्रताप शाही ने तो अपनी ओर से सत्ता पक्ष पर कहर बरपाने का कोई कसर नहीं छोड़ा। उन्होंने चम्पई सोरेन के मुख्यमंत्री बनने पर कहा कि ये सब भगवान श्रीराम की कृपा है। उधर 22 जनवरी को भगवान श्रीराम अयोध्या में विराजे और उसका प्रभाव झारखण्ड में दिखा। लीजिये, इतना बोलना था कि सत्तापक्ष ने भानु प्रताप का कड़ा प्रतिवाद किया। दूसरी ओर पूरे सदन में भाजपाइयों ने जयश्रीराम का नारा लगाया।
भानु प्रताप ने इसी बीच कह दिया कि सत्ता पक्ष में हरा झंडा ढोनेवाले लोग और हरा चश्मा पहननेवाले लोगों को सिर्फ पाकिस्तान दिखता है। भानु प्रताप ने सत्ता पक्ष के लोगों को कहा कि जब वे लोग अलग झारखण्ड की मांग कर रहे थे तो उन्हें यह बात जान लेना चाहिए कि उस वक्त भाजपा सत्ता में नहीं थी। कांग्रेस से ही झारखण्ड अलग राज्य की मांग कर रहे थे। लेकिन कांग्रेस ने उनकी एक नहीं सुनी, लेकिन जैसे ही अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार केन्द्र में आई, तो झारखण्ड मिल गया।
भानु प्रताप ने कहा अटल बिहारी वाजपेयी ने उत्तराखण्ड और छत्तीसगढ़ भी दिये, क्या उन राज्यों के लिए भी झामुमो ने संघर्ष किया था? भानु ने कहा कि लालू प्रसाद ने कहा था कि उनकी लाश पर झारखण्ड बनेगा, लेकिन आज हो क्या रहा है। आप उन्हीं की पार्टी के साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं। भानु ने कहा कि शरीर की मौत, मौत नहीं है। मौत तो जमीर की होने से मौत मानी जाती है और आपलोगों ने अपने जमीर को मार डाला है।
भानु ने कहा कि आप जो आदिवासी-आदिवासी चिल्ला रहे हैं। अगर अटल बिहारी वाजपेयी जब झारखण्ड बना सकते थे तो वे किसी को भी मुख्यमंत्री बना सकते थे। लेकिन उन्होंने एक आदिवासी बाबूलाल मरांडी को मुख्यमंत्री बनाया। बाबूलाल मरांडी के बाद भी यहां भाजपा की ओर से अर्जुन मुंडा आदि आदिवासी ही मुख्यमंत्री बनाये गये। एक बार तो राज्यसभा में शिबू सोरेन जी को भी बाबूलाल मरांडी के शासनकाल में ही भेजा गया था।
भानु प्रताप ने कहा कि लोगों को नहीं भूलना चाहिए कि चीरुडीह कांड हो या नोट फोर वोट या कोयला घोटाला इन सभी में शिबू सोरेन को जेल भेजने में कांग्रेस ने ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई न कि भाजपा ने। दरअसल कांग्रेस किसी की नहीं हैं, ऐसा कोई सगा नहीं, जिसे कांग्रेस ने डसा नहीं।
भानु ने जोर देकर कहा कि कांग्रेस ने लालू प्रसाद, ओम प्रकाश चौटाला, करुणानिधि, जयाललिता, जगन्मोहन रेड्डी इन सभी को अपने शासनकाल में जेल भेजा। इसलिए कांग्रेस को किसी भी मुद्दे पर बोलने का अधिकार नहीं। इसी बीच भाषण के क्रम में भानु प्रताप की इरफान अंसारी और हफीजुल हसन अंसारी के बीच तीखी नोक-झोक हो गई। इनकी तीखी नोक-झोक से ऐसा लगा कि कही सदन में कुछ अनहोनी न हो जाये। लेकिन जल्द ही मामला शांत हो गया।
हेमन्त सोरेन की गिरफ्तारी में राजभवन का कोई हाथ नहीः सरयू
जमशेदपुर पूर्व के विधायक सरयू राय ने आज सदन में कहा कि कल तो सदन में विचित्र स्थिति थी। जिन्हें राज्यपाल के अभिभाषण का विरोध करना चाहिए था, वे शांत बैठे थे और जिन्हें समर्थन करना था वे विरोध के स्वर बुलंद कर रहे थे। उनका कहना था कि विरोध इतना प्रबल था कि अभुतपूर्व शोरगुल के कारण राज्यपाल का भाषण स्पष्ट रुप से सुनाई नहीं पड़ रहा था।
उन्होंने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री चम्पई सोरेन ने स्वयं को हेमन्त सरकार का पार्ट – टू घोषित किया है। हाल ही में दो फरवरी को स्वास्थ्य विभाग ने 24 डाक्टरों का ट्रांसफर-पोस्टिंग किया है। आखिर ये सब कैसे हुआ। अभी तो मंत्रिमंडल का गठन भी नहीं हुआ है। सारे विभाग अभी राज्य के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ही देख रहे हैं। तो वे खुद बताये कि आखिर ये किसकी मर्जी से हुआ।
मुख्यमंत्री की मर्जी से हुआ या किसी और की मर्जी से। आखिर इसके लिए कौन दोषी हैं? इस बात की जानकारी लेकर सीएम बताये तो बहुत अच्छी बात होगी। सरयू राय के इस सवाल पर पूर्व स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता तिलमिला गये और अपने सीट से उठकर सरयू राय के सवालों पर आपत्ति दर्ज कराई। जिस पर सरयू राय ने कहा कि लगता है कि पहले एडवांस ले लिया होगा, तब जाकर इन्होंने ऐसा किया होगा।
उन्होंने बन्ना गुप्ता के ऐतराज करने पर चुटकी लेते हुए कहा कि वे टाटा स्टील को कहेंगे कि अपना कुछ शेयर बन्ना गुप्ता को भी दे दें ताकि वे आराम से नेतागिरी कर सकें। इधर बन्ना गुप्ता ने जब ज्यादा शोरगुल मचाना शुरु किया तब सरयू राय ने पूछ डाला कि आप है कौन? जिसका जवाब बन्ना गुप्ता नहीं दे पाएं। सरयू राय ने हेमन्त सोरेन के कल के बयान पर कहा कि उनका भाषण भावनात्मक भाषण था। लेकिन उन्हें जो सूचना प्राप्त हई हैं। उस सूचना में स्पष्ट जिक्र है कि इसमें राजभवन कहीं से भी दोषी नहीं है।
चूंकि हेमन्त सोरेन ने स्वेच्छा से इस्तीफा दिया था। स्वेच्छा से ही ईडी को गिरफ्तारी दी, तभी ईडी उन्हें कार्यालय लेकर आई। इसी बीच सरयू राय कुछ और बातें कहना चाहते थे, लेकिन उनकी माइक बंद कर दी गई। इधर भाजपा के विधायकों ने सरयू राय को अपनी बात कहने का स्पीकर से अनुरोध किया, लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई। इधर उन्हें मौका मिलता नहीं देख, सरयू राय अपनी सीट पर बैठने में ही भलाई समझी। लेकिन उनका दो मिनट का भाषण सदन में अपनी छाप छोड़ने में सफल रहा।
आदिवासियों के साथ अन्याय हुआः विरंची
भाजपा विधायक विरंची नारायण ने राज्यपाल के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए कहा कि हेमन्त सोरेन को दस-दस बार समन हुआ। लेकिन वे समन को ठुकराते रहे। पूरे राज्य में आदिवासियों के साथ अन्याय हो रहा है। आदिवासी समाज प्रकृति पूजक होते हैं। लेकिन उनकी परम्परा और संस्कृति को कुचला जा रहा है। साहेबगंज से लेकर सिमडेगा तक आदिवासी बहू-बेटियों के साथ अन्याय और अत्याचार हेमन्त सोरेन के शासनकाल में बढ़ा है।
अभी भी पूरे राज्य में बालू, पत्थर, खनन का लूट जारी है। हाल ही में जेएसएससी मामले में धांधलियां देखने को मिली, पर यहां बिल्ली को ही दूध की रखवाली का जिम्मा दे दिया गया है। होना तो ये चाहिए कि इस मामले को सीबीआई जांच के लिए सरकार को कदम बढ़ाना चाहिए। विरंची नारायण ने सीएम चम्पई सोरेन का आगाह किया के वे हेमन्त पार्ट 2 बनने की कोशिश करेंगे तो वे भी जेल जाने के लिए तैयार रहे।
दीपिका के स्तरहीन भाषण से सदन में बवाल, विपक्ष वेल में
इधर कांग्रेस से दीपिका पांडेय और इरफान अंसारी ने अपनी बातें रखी। लेकिन दीपिका पांडेय का सदन में दिया गया भाषण स्तरहीन था। जिसको लेकर सदन में बावेला भी मचा। दीपिका पांडेय के भाषण पर तो एक बार सारा विपक्ष वेल में आ गया। इन्ही सभी बातों को लेकर नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी ने कहा कि यहां सदन में बेकार की बातें हो रही हैं और पूरा विधानसभा मूकदर्शक बनकर देख रहा है। जो देखों राज्यपाल को अपमानजनक शब्द कहें जा रहा है। आखिर ये सब हो क्या रहा है।