अपनी बात

एक लाइन ठीक से नहीं बोल पानेवाले यू-ट्यूबर्स ने राज सिन्हा को नीचा दिखाने के लिए न्यूज बना डाला, इधर पहले से ही उनसे खार खाये धनबाद के भाजपा कार्यकर्ताओं ने उस न्यूज का किया भरपूर इस्तेमाल

केन्द्रीय कोयला एवं खान राज्य मंत्री सतीश चंद्र दूबे पिछले दिनों झारखण्ड के दौरे पर थे। इसी दौरे के क्रम में उनका आगमन धनबाद भी हुआ। जहां उनके सम्मान में धनबाद के भाजपा विधायक राज सिन्हा ने अपने आवास पर एक भोज का आयोजन किया। बताया जाता है कि उस भोज में ऐसे-ऐसे लोग भी पहुंचे थे, जिन्हें आमंत्रित नहीं किया गया था। जिन्हें नहीं आमंत्रित किया गया था। उनमें ज्यादातर लोग तथाकथित पत्रकार थे।

जिन्हें एक लाइन लिखना तो दूर बोलना भी नहीं आता। वे बिना बुलाये उस भोज में आ पहुंचे थे और जमकर उस भोज का आनन्द भी लिया। लेकिन जैसे ही भाजपा कार्यकर्ताओं की खाने की बारी आई। वहां कुछ अफरातफरी की स्थिति देखने को मिली। फिर क्या था, जिन्हें नहीं बुलाया गया था, उन तथाकथित पत्रकारों जो पत्रकार भी नहीं हैं, यू-ट्यूबर्स है। वहां का विजूयल उठाना शुरु किया और उसे अपने यू-ट्यूब चैनल पर डाल दिया।

जैसे ही उक्त तथाकथित पत्रकार जो पत्रकार भी नहीं, बल्कि यू-ट्यूबर्स हैं। उसने अपने यू-ट्यूब चैनल पर डाला। भाजपा विधायक राज सिन्हा से आजकल खफा चल रहे, कुछ भाजपा कार्यकर्ताओं को जैसे लगा कि लॉटरी निकल गई। उन्होंने ये भी नहीं देखा कि उक्त वीडियो में क्या सही हैं या क्या गलत। बस चूंकि राज सिन्हा को नीचा दिखाना था। उनके हर कार्यक्रम में टांग अड़ाकर, उन्हें नीचा दिखाना हैं, उन्हें टिकट नहीं लेने देना हैं। उस वीडियो को नून-तेल-मिर्च लगाकर अपने-अपने सोशल साइट पर शेयर करना शुरु किया।

आप इन भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा शेयर किये गये उक्त वीडियो को देखिये, आप माथा पकड़ लेंगे। उस वीडियो में एंकर एक जगह कह रही है कि भाजपा कार्यकर्ता मीडियाकर्मियों से उलह गये। यानी उलझना को उलहना बोल रही है। दूसरे जगह पर विधायक राज सिन्हा ने काफी मांगी। यानी माफी भी बोलने नहीं आ रहा। मतलब आप इस वीडियो को सुन अपना हंसी नहीं रोक पायेंगे। फिर भी खुब शेयर हो रहा है। कोई भाजपा कार्यकर्ता ये वीडियो अपलोड करनेवाले से नहीं पूछ रहा कि यार ये तुम क्या किये हो। समाचार को कचरा पेटी बना दिये हो। बस इस न्यूज के आधार पर, जो कि न्यूज ही नहीं हैं। राज सिन्हा को नीचा दिखाया जा रहा है।

सवाल है कि अगर कोई राजनीतिज्ञ गलती कर रहा हैं, तो उस पर अंगूलियां उठनी ही चाहिए। लेकिन उस पर अंगूली कौन उठायेगा। जो स्वयं चारित्रिक रुप से शुद्ध हो। आपको बुलाया नहीं जाता, आप किस हैसियत से जाते है? आपको पत्रकार किसने बना दिया? विद्रोही24 तो देख रहा है कि आजकल सबको पत्रकार बनने की मिरगी की तरह बीमारी लग गई। जिसने कभी शुद्ध-शुद्ध लिखना नहीं सीखा, पढ़ना नहीं सीखा, बोलना नहीं सीखा, बस यू-ट्यूबर्स बनकर सभी कौ धौंस दिखा रहा है।

हाल ही में रांची में एक बहुत बड़े होटल में एक बडी मेडिसीन कंपनी ने प्रेस कांफ्रेस रखा। उसने मात्र तीस लोगों के लिए गिफ्ट का इंतजाम किया था और उतने ही पत्रकार आमंत्रित किये थे। लेकिन देखने को मिला कि वहां डेढ़ सौ से भी ज्यादा तथाकथित यू-ट्यूबर्स पहुंच गये और स्वयं को पत्रकार कहकर गिफ्ट की डिमांड रख दी। बेचारा दवा कंपनी वाला क्या करता, उसने हाथ खड़े कर दिये, कह दिया कि माफ करें आप लोग मेरे कंपनी का न्यूज मत छापिये, मत दिखाइये, लेकिन इज्जत मत लीजिये, यहां से जाइये।

राजनीतिक पंडित कहते हैं कि जब से यू-ट्यूबवाली पत्रकारिता शुरु हुई हैं। तभी से हर गली-मुहल्ले में यू-टयूबर्स पैदा हो गये हैं। जिनका काम सिर्फ प्रेस कांफ्रेस में जाकर मुफ्त का नाश्ता-भोजन करना, गिफ्ट लेना, नेताओं से तालमेल बढ़ाना और उसके नाम पर अपनी दुकानदारी चलाना, पुलिस के पदाधिकारियों से मिलकर अपनी रंगदारी चलाना होता हैं।

ये यू-ट्यूबर्स भी एक तरह से अपराध को जन्म दे रहे हैं। अगर इन यू-ट्यूबर्सों पर रोक नहीं लगाया गया तो अभी तो भोजन-नाश्ता पर ये टूट रहे हैं, गिफ्ट पर टूट रहे हैं, आनेवाले समय में ये नेताओं व सामान्य जन से रंगदारी वसूलना शुरु करेंगे और कहेंगे कि नहीं दोगे तो लो हम यू-ट्यूब पर डाल रहे हैं। सच्चाई यह भी है कि विद्रोही24 देख रहा है कि इन यू-ट्यूबर्स के रंग अब दिखने भी शुरु हो गये हैं। कई यू-ट्यूबर्स हाल ही में जेल की शोभा भी बढ़ा चुके हैं, तो कई जेल जाने की कतार में भी हैं।