क्या CM रघुवर दास योगदा सत्संग सोसाइटी के संन्यासियों के इस उपकार को याद रख पायेंगे?
अगर योगदा सत्संग सोसाइटी के संन्यासियों ने दयालुता नहीं दिखाई होती तो भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी झारखण्ड के इस वर्ष के स्थापना दिवस में दिखाई नहीं देते। झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास के क्रियाकलापों से केन्द्र के मंत्री व नेता कितने खुश है, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि, अब राज्य सरकार द्वारा कई बार बुलाये जाने पर भी ये नेता व मंत्री आना पसन्द नहीं करते। उसका उदाहरण हैं, हाल ही में झारखण्ड माइनिंग शो के समापन अवसर के दिन एक केन्द्रीय मंत्री को आना था, उस केन्द्रीय मंत्री ने आना जरुरी नहीं समझा, अंत में राज्य के नगर विकास मंत्री सी पी सिंह से समापन समारोह की पूर्णाहुति कराई गई।
15 नवम्बर को झारखण्ड के स्थापना दिवस के अवसर को देखते हुए राज्य की मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री रघुवर दास तथा उनकी टीम, केन्द्र के एक धाकड़ नेता को रांची बुलाना चाहती थी, पर सफलता नहीं मिली, बेचारे क्या करें, सोचा कि इस बार राष्ट्रपति को बुलाया जाय, पर वहां से भी जवाब मिल गया कि चूंकि 27 नवम्बर को रांची में ही योगदा सत्संग सोसाइटी के कार्यक्रम में माननीय राष्ट्रपति को जाना है, ऐसे में उसके पहले 15 नवम्बर को राष्ट्रपति का रांची जाना संभव नहीं।
अंत में, राष्ट्रपति भवन कार्यालय ने यहां की सरकार एवं अधिकारियों को कहा कि अगर योगदा सत्संग सोसाइटी के संन्यासी अपने कार्यक्रम को 15 नवम्बर को कर देते हैं, तो ऐसे में राष्ट्रपति स्थापना दिवस कार्यक्रम और योगदा सत्संग सोसाइटी दोनों के लिए समय निकाल सकते हैं, फिर क्या था? मुख्यमंत्री कार्यालय ने योगदा सत्संग सोसाइटी के संन्यासियों के आगे अनुनय-विनय किया, संन्यासी तो सन्यासी होते हैं, उन्होंने उदारतापूर्वक अपने कार्यक्रम को 27 नवम्बर से 15 नवम्बर कर दिया और उधर राष्ट्रपति भवन से भी दोनों को मंजूरी मिल गई। क्या सीएम रघुवर दास योगदा सत्संग सोसाइटी के संन्यासियों के इस उपकार को याद रख पायेंगे?